शिमला:प्रदेश की मंडियों में कार्टन के नाम पर बागवानों से दो किलो के सेब की कटौती नहीं की जा सकेगी. सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि सेब के रेट कार्टन के वजन समेत तय किए जाने चाहिए. प्रदेश में अभी तक मंडियों में सेब की पेटियों के वजन से दो किलो वजन कार्टन के वजन के नाम पर काटा जा रहा था. बागवान इसको लेकर नाराजगी जता रहे थे. इसके बाद अब सरकार ने इस बारे में आदेश जारी कर दिए हैं. इसके मुताबिक मंडियों में कार्टन के वजन के नाम पर कटौती नहीं होगी. प्रदेश की सभी एपीएमसी को इन आदेशों का सख्ती से अमल करवाने को कहा गया है.
कार्टन के वजन के नाम पर काटा जा रहा था दो किलो:दरअसल, प्रदेश की मंडियों में इस बार सरकार ने किलो के हिसाब से सेब बेचने के बड़ा फैसला लिया है जिसकी बागवान कई सालों से मांग कर रहे थे. हालांकि मंडियों से सेब की पेटियों से दो किलो कार्टन के वजन के नाम पर काटा जा रहा था. मसलन अगर सेब की पेटी का कुल वजन 24 किलो है तो मंडी में आढ़ती उसमें से 2 किलो काटकर 22 किलो का पैसा बागवानों को दे रहे थे, इसके लिए तर्क दिया जा रहा था कि सेब के कार्टन का वजन दो किलो होता है, लेकिन इसमें बागवानों को नुकसान हो रहा था. क्योंकि सेब की पैकिंग में इस्तेमाल हो रहा कार्टन फ्री में जा रहा था. हालांकि नियम मुताबिक किसी भी वस्तु की लागत उसकी पैकेजिंग मैटिरियल के साथ ही होती है. यानी इसमें पैकेजिंग मैटियिरल का वजन भी शामिल रहता है, लेकिन सेब के मामले में ऐसा नहीं हो रहा था. यही वजह है कि प्रदेश में बागवान लगातार विरोध कर रहे थे.
100 रुपए से ज्यादा की बैठती है एक कार्टन का कीमत:बागवानों का कहना था कि अगर आढ़ती दो किलो कार्टन का काट रहे हैं तो कार्टन का पैसा उनको दिया जाना चाहिए. हालांकि किसी भी पैकेड सामग्री का वजन उसके पैकेजिंग सामग्री को मिलाकर ही होता है, लेकिन बागवानों से कार्टन के वजन के नाम से 2 किलो की काट की जा रही है. बागवानों का यह भी कहना था कि सब्जी में बारदाना किसानों को वापस मिलता है, लेकिन सेब में कार्टन वापस नहीं मिलता. एक कार्टन का कीमत 100 रुपए से ज्यादा की बैठती है जबकि कार्टन का वजन मुश्किल से डेढ किलो होता है. यही नहीं कोई भी कानून कार्टन का वजन काट कर सेब को बेचने की इजाजत ही नहीं देता, लेकिन फिर भी यह हो रहा था.