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फर्जी खबरें फैलाने वालों की खैर नहीं! हिमाचल में फेक न्यूज मॉनिटरिंग यूनिट का गठन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से अपेक्षा की गई है कि कि वे जिम्मेदारी की भावना बनाए रखें, डर का माहौल पैदा करने वाले अप्रमाणिक समाचार प्रसारित न करें.

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Published : Apr 4, 2020, 8:40 AM IST

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फेक न्यूज मॉनिटरिंग यूनिट

शिमला : राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस से संबंधित फर्जी खबरों के प्रसार की जांच के लिए ‘फेक न्यूज मॉनिटरिंग यूनिट’ का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत इसके बचाव संबंधी उपाय किए जा रहे है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से अपेक्षा की गई है कि कि वे जिम्मेदारी की भावना बनाए रखें, डर का माहौल पैदा करने वाले अप्रमाणिक समाचार प्रसारित न करें. वहीं लोगों के संदेह को दूर करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य मंचों सहित सभी मीडिया के माध्यम से भारत सरकार द्वारा दैनिक बुलेटिन भारत के महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए जाने के 24 घंटों के भीतर सक्रिय किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस महामारी के बारे में खुली चर्चा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते. मीडिया को विभिन्न जानकारियों को आधिकारिक विवरण से प्रकाशित करना चाहिए.प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी मीडिया को सलाह दी है कि कोविड-19 को लेकर सही समाचारों का प्रसार सुनिश्चित करें.

प्रवक्ता ने कहा कि फेक न्यूज मॉनिटरिंग यूनिट तत्काल प्रभाव से कार्य करना शुरू कर देगी. निदेशक, सूचना एवं जन संपर्क, हरबंस सिंह ब्रसकोन फेक न्यूज मॉनिटरिंग यूनिट के अध्यक्ष होंगे, जबकि एस.पी. साईबर क्राईम संदीप धवाल, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य विनोद शर्मा, संयुक्त निदेशक आईटी अनिल सेमवाल, संयुक्त निदेशक सूचना एवं जन संपर्क प्रदीप कंवर, संयुक्त निदेशक सूचना एवं जन संपर्क महेश पठानिया, उप निदेशक सूचना एवं जन संपर्क धर्मेंद्र ठाकुर, उप निदेशक (तकनीकी) सूचना एवं जन संपर्क यू.सी. कौंडल और प्रबंधक आईटी हिमाचल प्रदेश सचिवालय किशोर शर्मा सदस्य होंगे.

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधान के अनुसार सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने उपयोगकर्ताओं को होस्ट करने, प्रदर्शित करने, अपलोड करने, संशोधित करने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने, अपडेट करने या सांझा करने के लिए सूचित करने की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक आदेशों को प्रभावित कर सकते हैं और गैर कानूनी हो सकते हैं.

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