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हिमाचल में वन भूमि डायवर्सन के 29 मामले को केंद्र से मंजूरी, कई सड़क निर्माण और परियोजनाओं का रास्ता साफ

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Published : Jun 15, 2023, 7:01 AM IST

हिमाचल प्रदेश में वन भूमि डायवर्सन के 29 मामले को केंद्र से मंजूरी मिल गई है. जिससे प्रदेश में कई सड़कों के निर्माण सहित अन्य परियोजनाओं का रास्ता साफ हो गया है.

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हिमाचल में वन भूमि डायवर्सन मामला

शिमला: हिमाचल के क्षेत्रफल का एक बड़ा हिस्सा वन भूमि में पड़ता है. यही वजह है कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए वन भूमि के डायवर्सन की मंजूरी केंद्र सरकार से लेनी पड़ती है. हिमाचल सरकार समय-समय पर ऐसे केसों को केंद्र सरकार को भेजती है. इसी कडी़ में केंद्र सरकार ने हिमाचल की ओर से भेजे गए 29 मामलों को मजूरी दी है. इससे कई सड़कों और अन्य विकासात्मक परियोजनाओं के बनने का रास्ता साफ हो गया है.

वन भूमि डायवर्सन के 29 मामलों को मिली मंजूरी: सीएम सुखविंद सिंह सुक्खू ने कहा सरकार ने एफसीए से संबंधित विभिन्न मुद्दे केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाए हैं. सरकार के प्रयासों से इस जून माह के दौरान वन भूमि डायवर्सन के 29 मामलों में केंद्र सरकार से स्वीकृति मिली है. इनमें सड़क निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग के 11 मामले, पुलिस विभाग के 4, जल शक्ति, एनएचएआई, शिक्षा और कृषि विभाग के 2-2 मामले और आईटीबीपी, नगर निगम शिमला, सैनिक कल्याण, गृह रक्षक, स्वास्थ्य, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड का 1-1 मामला शामिल है.

'वन भूमि डायवर्सन के 32 नए प्रस्ताव केंद्र को भेजा': उन्होंने कहा बीते 6 माह में प्रदेश सरकार ने कुल 46 मामलों में औपचारिक आदेश जारी किए हैं. इसके अलावा प्रदेश सरकार ने बीते एक माह के दौरान एफसीए के तहत वन भूमि डायवर्सन के 32 नए प्रस्तावों को केंद्र सरकार को भेजा है. इनमें सड़क निर्माण के 19 मामले, विद्युत, फोरलेन निर्माण, शिक्षा व अन्य परियोजनाओं के 2-2 मामले और जल आपूर्ति, सुरक्षात्मक परियोजना, पर्यटन, सौर ऊर्जा परियोजना, रोपवे इत्यादि के निर्माण के लिए प्रस्ताव शामिल हैं.

6 माह में हिमाचल ने 110 मामले केंद्र को भेजे:मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा राज्य सरकार विकासात्मक कार्यों को गति प्रदान करने के लिए कार्य कर रही है. पिछले 6 माह में प्रदेश सरकार ने 110 से अधिक मामले केंद्र सरकार के अनुमोदन के लिए भेजे हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश सरकार वन भूमि डायवर्सन के प्रस्तावों की प्रक्रिया तेजी ला रही है. ताकि विकास कार्यों का निर्माण आवश्यक अनुमोदन मिलने के बाद जल्द शुरू किया जा सके. इस तरह इन कार्यों के समय पर पूरा होने राजस्व में बचत के साथ ही प्रदेश की जनता को इनका समुचित लाभ सुनिश्चित होता है.

वन भूमि डायवर्सन के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन:सीएम ने कहा प्रदेश सरकार ने वन मंजूरियों स्वीकृतियों में अनावश्यक विलंब के कारण विकास कार्यों में हो रही देरी को गंभीरता से से लेते हुए इनका समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. वन भूमि डायवर्सन के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है, जिनकी नियमित आधार पर बैठकें हो रही हैं. इससे लंबित एवं नए मामलों के अनुमोदन की प्रक्रिया में तेजी आई है.

केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी:हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 68 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र के तहत आता है, जिस पर वन संरक्षण अधिनियम, (एफसीए)1980 के प्रावधान लागू होते हैं. सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिकांश विकास कार्यों के निर्माण के लिए एफसीए की धारा-2 के तहत केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है. वर्तमान में यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है और इन प्रस्तावों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोटर्ल के माध्यम से प्रोसेस किया जा रहा है.
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