शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य कर व आबकारी विभाग ने चार फर्जी फर्मों की पहचान की है. ये सभी चार फर्में गुजरात के तीन लोगों के नाम हैं. आधार कार्ड में दर्ज ब्यौरे से ये खुलासा हुआ है. हिमाचल प्रदेश के राज्य व आबकारी आयुक्त युनूस ने बताया कि विभाग ने प्रदेश में सक्रिय फर्जी फर्मों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया हुआ है. इसी अभियान के तहत इन फर्मों की जानकारी सामने आई.
विभाग ने सारे दस्तावेज खंगाले तो पता चला कि ये चार कंपनियां फर्जी तरीके से कारोबार करने में जुटी थी. आबकारी आयुक्त युनूस ने बताया कि आधार कार्ड विवरण के अनुसार इन कंपनियों का स्वामित्व गुजरात से संबंधित तीन लोगों के पास है. हैरत की बात है कि इन तीन लोगों ने देश भर में 184 पंजीकरणों के लिए आवेदन किया था. इनमें से केवल 31 को मंजूरी मिली.
हिमाचल प्रदेश में इन्होंने 10 पंजीकरणों के लिए आवेदन किया था. आयुक्त ने बताया कि जांच-पड़ताल के बाद आबकारी विभाग ने इन लोगों के सभी पंजीकरण नामंजूर कर दिए. हालांकि सीजीएसटी यानी केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर प्राधिकरण से वे हिमाचल प्रदेश में चार पंजीकरण स्वीकृत करवाने में सफल रहे. उन्होंने बताया कि इन चार प्रतिष्ठानों के आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद ये पाया गया कि यह सभी प्रतिष्ठान संदिग्ध रूप से लेन-देन कर रहे हैं. इन कंपनियों अथवा फर्मों ने राज्य में कारोबार के लिए दो पते दिए थे, उनके संबंध में पूछताछ करने पर पता चला कि उन पतों पर कोई भी फर्म उपलब्ध नहीं थी.
इन चारों लोगों ने 167 करोड़ रुपए के कारोबार का खुलासा किया है. यही नहीं, इन सभी ने पूरे भारत में 27 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया है. साथ ही हिमाचल प्रदेश में इन्होंने 56 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया है और 9.43 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दर्शाया है. आयुक्त ने बताया कि विभाग ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस मामले को केंद्रीय अधिकारियों के समक्ष उठाया है, क्योंकि यह फर्म केंद्रीय अधिकार क्षेत्र में हैं और उनका नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है. हिमाचल आबकारी विभाग ने केंद्रीय अधिकारियों से इन फर्जी संस्थाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
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