शिमलाः बर्फीले पहाड़ों का प्रांत हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. मानसून की बारसात हो या सर्दियों की बर्फबारी प्रदेश के मौसम के दीदार के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से सैलानी यहां पहुंचते हैं, लेकिन बरसात और बर्फबारी हर साल प्रदेश के लोगों के लिए नई चुनौतियां और समस्याएं भी लेकर आती हैं.
साल 2019 में जहां अच्छी बर्फबारी हुई. वहीं इस साल मानसून ने कई सालों के रिकॉर्ड भी तोड़े. प्रदेश में 37 साल बाद मानसून का लंबा स्पेल चला. प्रदेश में दो जुलाई को मानसून ने दस्तक दी थी और 11 अक्टूबर को मानसून विदा हुआ था.
इस साल 685.5 मिलीलीटर हुई बारिश
हिमाचल में इस साल सौ दिन मानसून सीजन चला. मानसून के दौरान सभी जिलों में अच्छी बारिश हुई. प्रदेश में 685.5 मिलीलीटर बारिश हुई. सबसे ज्यादा बारिश बिलासपुर में हुई 27 फीसदी अधिक बारिश हुई है. हालांकि मानसून ने काफी जख्म भी दिए हैं.
मानसून में 1,479 करोड़ का नुकसान
मानसून में 1,479 करोड़ का नुकसान हुआ है और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं से 81 लोगों की जाने भी गई है. इसके अलावा ओलावृष्टि ने भी किसानों और बागवानों को जख्म दिए है. ओलावृष्टि से करोड़ों की फसलों को नुकसान हुआ है. ज्यादा नुकसान बागवानों को हुआ है और सेब पर ओलों ने जम कर कहर बरसाया.
साल 2019 में मानसून के दौरान भूस्खलन, बादल फटने और आकस्मिक बाढ़ से लोक निर्माण विभाग को 592 करोड़ का नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा आईपीएच विभाग को 316 करोड़, बागवानी विभाग को 34 करोड़, शिक्षा विभाग को 1 करोड़ 80 लाख और ऊर्जा विभाग को 2,498 करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि कृषि विभाग को 81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
वहीं, प्रदेश में मानसून के दौरान बारिश से करीब 84 पक्के मकान क्षतिग्रस्त हो गए. इसके अलावा 146 कच्चे मकान भी पूरी तरह से जमींदोज हो गए. बारिश से 396 पक्के मकानों और 1,127 कच्चे मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है.
कई संपर्क मार्ग रहे ठप
बारिश के दौरान इस साल कई पहाड़ी क्षेत्र के संपर्क मार्ग ठप पड़ गए जिससे लोगों को आवाजाही के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस साल बरसात के दौरान अक्टूबर महीने में जिला सिरमौर के शिलाई में कच्ची ढांग के पास नेशनल हाईवे 707 पर हुए भूस्खलन से मार्ग कई दिनों तक बंद रहा. इससे लोगों को अपने गंतव्यों को जाने के लिए भारी परेशानियां उठानी पड़ी.