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Cryptocurrency Fraud: क्रिप्टो एजुकेशन के तथाकथित पीएचडी के जाल में फंसे एक लाख हिमाचली, न डॉक्टर बचे न पुलिस वाले

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 22, 2023, 9:50 PM IST

क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड का हिमाचल में एक लाख लोग शिकार हुए हैं, जिसमें डॉक्टर से लेकर पुलिस वाले भी शामिल हैं. पढ़ें पूरी खबर... (Himachal Crypto Currency Fraud) (Himachal Crypto Scam) (Cryptocurrency Fraud).

Himachal Crypto Currency Fraud
सांकेतिक तस्वीर.

शिमला:छोटे राज्य हिमाचल में कुछ क्रिप्टो ठगों ने ऐसा जाल बुना कि देवभूमि कहे जाने वाले प्रदेश के एक लाख लोगों को अपने जाल में फंसा लिया. लालच के इस खेल में न तो डॉक्टर बचे और न ही पुलिस वाले. जालसाजों ने आलीशान कोठियां बना लीं और भोले निवेशक लुटी-पिटी हालत में बेबस और ठगे हुए से महसूस कर रहे हैं. हिमाचल पुलिस की एसआईटी जांच कर रही है. एसआईटी ने भी ठगों की संपत्ति सीज करना शुरू कर दी है.

आखिर, ऐसा कौन सा लालच है, जिसमें फंस कर देवभूमि के भोले लोग अपनी पूंजी लुटा बैठे. छोटी काशी मंडी के सुभाष शर्मा इस ठगी के मास्टरमाइंड या किंगपिन हैं. उनके विदेश भाग जाने की आशंका है. मामला इतना गंभीर है कि राजनेता भी बयान दे रहे हैं और पुलिस के सबसे बड़े अफसर यानी डीजीपी को मीडिया के समक्ष सारे तथ्य पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. क्रिप्टो ठगी के इस जाल का सूत्रधार सुभाष शर्मा है. बताया जा रहा है कि वो अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लोबल पीस से क्रिप्टो एजुकेशन में पीएचडी डिग्री धारक है.

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सुभाष शर्मा को गोवा में नेल्सन मंडेला नोबेल शांति पुरस्कार भी वर्ष 2020 में दिया गया है. बाकायदा इन समारोहों के फोटो सोशल मीडिया पर हैं. इस डिग्री व यूनिवर्सिटी की कितनी साख है, ये जांच का विषय है, लेकिन ये सत्य है कि इस ठग ने भोले हिमाचलियों को जमकर लूटने का इंतजाम किया. हिमाचल के एक लाख झांसे में आ गए. करीब 2300 करोड़ की जालसाजी हुई है. जांच में सामने आया है कि क्रिप्टो जालसाजी की ढाई लाख आईडी बनी थी.

सबसे पहले ये मामला देहरा के विधायक होशियार सिंह ने उठाया था. उसके बाद विधानसभा में सरकार की तरफ से भरोसा दिया गया कि एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी. सरकार ने तेजतर्रार आईपीएस अफसर अभिषेक दुल्लर की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया. उन्होंने गुजरात से दो शातिर ठगों को दबोचा. ये दोनों मंडी के रहने वाले हैं.

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किंगपिन सुभाष शर्मा के झांसे में आकर सुखदेव व हेमराज ने अनेक लोगों को लालच के घेरे में लेकर निवेश करवाया. इनमें बल्ह घाटी का किसान ओमप्रकाश भी शामिल है जो महंगे भाव में टमाटर बेचकर सुर्खियों में आया था. ओमप्रकाश धरती पुत्र यानी किसान था और खेत में उगाए लाल सोने से कमाए धन में से पचास लाख रुपए निवेश कर दिए. सामाजिक विज्ञान और मनोविज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के लिए भी ये अध्ययन का विषय है कि पसीना बहाकर धरती से फसल हासिल करने वाला किसान चटपट पैसे कमाने के लालच में क्यों आ गया?

जालसाज निवेश करने वालों को वीपीआईपी ट्रीटमेंट दिया करते थे. जिस व्यक्ति ने जितना अधिक निवेश किया, उसे उतना ही अधिक वीवीआईपी माना गया. ऐसे निवेशकों को विदेश यात्रा करवाई जाती. उससे नए निवेशकों को भरोसा हो जाता कि सब चंगा है. अभी मिलन गर्ग नामक शातिर एसआईटी के हत्थे नहीं चढ़ा है. ये व्यक्ति क्रिप्टो ठगी या जालसाजी के नेटवर्क को तकनीकी सहयोग देता था. निवेशकों का भरोसा बरकरार रहे, इसके लिए निवेश की गई रकम पर होने वाले प्रॉफिट को शो करने वाला सॉफ्टवेयर चेंज किया जाता था. सेमिनार करवा के ये बताया जाता था कि कैसे लोग करोड़पति होकर ऐश कर रहे हैं. इससे लोगों में लालच और बढ़ जाता था. जांच में जुटी एसआईटी इस बात से भौंचक्की रह गई, जब पता चला कि हमीरपुर के एक छोटे से साधारण गांव के व्यक्ति ने दस करोड़ रुपए का निवेश किया है.

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एसआईटी वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रही है. जालसाजों ने अलग-अलग वेबसाइट सक्रिय कर रखी थीं. हैरानी की बात है कि शातिर से शातिर ठगों को चुटकी बजाते ही बेनकाब कर देने वाली पुलिस के कर्मचारी व अधिकारी भी इस लालच में फंस गए. पैसे निवेश करते समय वे पुलिस ट्रेनिंग को भी भूल गए. लालच इस कदर उनके सिर पर सवार था कि उन्होंने एक बार भी ये नहीं सोचा कि आने वाले समय में भांडा फूटेगा तो न केवल उनकी गाढ़ी कमाई जाएगी, बल्कि कानूनी पचड़े में भी फंसना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि एक हजार के करीब पुलिस कर्मी इस जालसाजी में फंस गए और क्रिप्टो के काले अध्याय के प्रमोटर बन गए. कुछ ने तो वीआरएस ले लिया और पल में अरबपति बनने के सपने खुली आंखों से देखने लगे. सबसे अधिक शिकार मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर के लोग हुए.

दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम, निवेशकों की हालत अब ऐसी है. कुछ निवेशक सोच रहे हैं कि पैसे वापिस मिलेंगे तो उनके लिए वज्रपात वाली खबर है. उन्हें पैसा मिलना तो दूर, कानूनी पचड़े भी झेलने होंगे. किसी ने अपनी ज्ञात आय से अधिक निवेश किया होगा तो उसे आयकर वालों को भी हिसाब देना होगा. ऐसे असंगठित ढांचे में निवेश करना और निवेश के लिए उकसाना दोनों ही अपराध है.

डीजीपी संजय कुंडू ने मीडिया को बताया है कि अब तक जालसाजों की एक करोड़ से अधिक की संपत्ति सीज की गई है. पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति मैप कर ली गई है. मनोवैज्ञानिक मनोज कुमार के अनुसार तेजी से भागते समय में हर इंसान ऐसी लग्जरी लाइफ के सपने देखता है, जिसमें कम समय में अधिक कमाई हो जाए और उसे ऐश-परस्ती के लिए समय मिल जाए. लोग ये भूल जाते हैं कि तीस दिन बायोमीट्रिक मशीन में हाजिरी लगाने के बाद फिर कोई व्यक्ति वेतन का हकदार बनता है. बिना कुछ किए, कुछ रकम निवेश कर करोड़पति बनना महज भ्रम और छलावा है. मनोज का कहना है कि जनता को ऐसे निवेश तंत्र में फंसने से पहले सौ बार सोचना चाहिए. हमेशा अपने हक की कमाई पर ही भरोसा करना चाहिए.

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