शिमला:हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक कचरे को लेकर पर्यावरण वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है. हिमालय क्षेत्र में पारिस्थितिकी के लिए पर्यावरणविदों की यह चिंता महत्वपूर्ण है. क्योंकि यूरोपीय संघ और भारत सहित जी20 के सदस्य देश जी-20 बैठक के दौरान पर्यावरण का मुद्दा उठाएंगे. गौरतलब है कि पहाड़ों पर आने वाले पर्यटक हिमालय क्षेत्र की पहाड़ियों में प्लास्टिक कचरा फेंक देते हैं, जिससे पर्यावरणविद पर्यावरण प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं.
पर्यावरणविद् सुरेश सी अत्री ने कहा प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के चलते पिछले दिनों तापमान में थोड़ी वृद्धि हुई है. इसकी वजह से हिमालयी क्षेत्र में भारी बारिश हुई. आज के हालात ऐसे हैं कि शिमला दो से तीन घंटे की बारिश झेलने की भी कंडीशन में नहीं है. उन्होंने कहा हम साल 1995 से प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इस साल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से बैन लगाने का निर्देश दिया था. मुख्य सचिव स्तर पर इसकी समीक्षा भी हो चुकी है. हम गांव और जिला स्तर पर एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हिमालयी क्षेत्र बहुत संवेदनशील क्षेत्र है. सुरेश सी अत्री ने कहा इस साल अब तक हिमालय क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों से 45,0000 किलो से अधिक प्लास्टिक इकठ्ठा किया गया है.
अत्री ने बताया कि ग्रेटर नेशनल हिमालयन पार्क, खीर गंगा और मणिमहेश में जाने वाले पर्यटक कचरा फेंक रहे हैं. हम एनजीओ, स्कूल और कॉलेज के बच्चों से मदद ले रहे हैं. इस साल हीलिंग हिमालय संगठन ने हिमालय के इन संवेदनशील क्षेत्रों से 450000 किलो से अधिक प्लास्टिक एकत्र किया है और इसका वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया. इसके अलावा उन्होंने प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की.
उन्होंने बताया कि इस साल बारिश के दौरान प्लास्टिक कचरा नालियों में घुस गया, जिससे जाम की स्थिति पैदा हो गई. इसका उदाहरण शिमला में देखने को मिला, जो शिमला में बाढ़ की स्थिति का एक मुख्य कारण बनकर सामने आया. पर्यावरण वैज्ञानिक ने कहा प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगना चाहिए. क्योंकि प्लास्टिक कचरा बायोडिग्रेडेबल सामान के साथ मिलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कारण बन रहा है.
वहीं, शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंदर सिंह पंवर ने कहा कि प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग करने की जगह पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. प्लास्टिक कचरा एक चिंता का विषय है. प्रमुख स्थानों पर नालों के बाधित होने से भी बाढ़ आई है. कचरे से छोटे नालों पर बहुत बुरा असर पड़ा है. हालांकि ये कहना सही नहीं है कि ये सब सिर्फ प्लास्टिक के कारण से हुआ है. हमें हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक को पूर्ण रूप से प्रतिबंध करना होगा.