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Suresh Kashyap resigns : 3 साल में उपचुनाव और विधानसभा चुनाव में मिली BJP को हार, ऐसा रहा सुरेश कश्यप के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक सुरेश कश्यप ने हिमाचल प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है और जेपी नड्डा को इस्तीफा सौंप भी दिया है. इस पर फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेना है. लेकिन पिछले करीब 3 साल से हिमाचल में पार्टी संगठन की कमान संभाल रहे सुरेश कश्यप का कार्यकाल कैसा रहा ? प्रदेश अध्यक्ष के नाते क्या कहता है सुरेश कश्यप का रिपोर्ट कार्ड ? जानने के लिए पढ़ें...

सुरेश कश्यप ने की इस्तीफे की पेशकश
सुरेश कश्यप ने की इस्तीफे की पेशकश

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Published : Apr 21, 2023, 3:05 PM IST

शिमला : हिमाचल में साल 2017 में भाजपा सत्ता में आई तो पार्टी को जीत दिलाने में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती की भूमिका अहम रही. सतपाल सिंह सत्ती की अगुवाई में हिमाचल भाजपा के हिस्से सफलता के कई ताज आए. अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत तीन साल पूर्व सुरेश कश्यप पार्टी के नए मुखिया बनाए गए. इसे हिमाचल का सियासी घटनाक्रम कहें या फिर सुरेश कश्यप की किस्मत, उनके अध्यक्ष बनने के बाद राज्य में भाजपा को चुनाव में चमकदार सफलताएं नहीं मिलीं.

उपचुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में हार-साल 2021 के आखिर में हिमाचल में भाजपा ने मंडी लोकसभा उपचुनाव हारा. इसके अलावा फतेहपुर, अर्की और जुब्बल-कोटखाई में भी विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को पराजय मिली. फिर 2022 में विधानसभा चुनाव में भी हिमाचल भाजपा का मिशन रिपीट का सपना टूट गया. राज्य में सरकार रिपीट करने का दावा करने वाली बीजेपी को विधानसभा चुनाव में केवल 25 सीटों से संतोष करना पड़ा. इस तरह सुरेश कश्यप के लिए पार्टी में संगठन का काम कोई खास सफलता लेकर नहीं आया.

सुरेश कश्यप की अगुवाई में बीजेपी उपचुनाव और विधानसभा चुनाव हार गई

सुरेश कश्यप जीते चुनाव- सुरेश कश्यप भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले सुरेश कश्यप का निजी रिपोर्ट कार्ड शानदार कहा जाएगा. पहले साल 2017 में सिरमौर जिले की पच्छाद सीट से विधानसभा पहुंचे और फिर जब पार्टी ने 2019 में लोकसभा का टिकट दिया तो शिमला सीट से संसद भी पहुंच गए. 2012 विधानसभा चुनाव में भी सुरेश कश्यप पच्छाद सीट से ही विधायक बने थे. 2012 से 2019 लोकसभा चुनाव के बीच उन्होंने 3 चुनाव जीतकर खुद को सफल नेता के रूप में स्थापित किया है लेकिन उन्हें पार्टी को चुनाव जिताने में सफलता नहीं मिली.

3 साल में 3 अध्यक्ष- साल 2020 में हिमाचल में सतपाल सिंह सत्ती के बाद डॉ. राजीव बिंदल को पार्टी का मुखिया बनाया गया. बिंदल नाहन से 2017 में पांचवी बार चुनाव जीते थे. 2017 में सरकार बनने पर उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था. वे दो साल विधानसभा अध्यक्ष के पद पर रहे और फिर अचानक से विपिन सिंह परमार को स्वास्थ्य मंत्री से विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया और राजीव बिंदल को राज्य भाजपा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. बाद में कोरोना महामारी के समय पीपीई किट घोटाले में कड़ी जुडऩे पर बिंदल ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था.

2012, 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव जीते हैं सुरेश कश्यप

जुलाई 2020 में सुरेश कश्यप को हिमाचल भाजपा की कमान सौंपी गई थी. वैसे तो राजीव बिंदल जनवरी 2020 में अध्यक्ष बने थे और उसी साल जुलाई में उनका इस्तीफा हो गया था. तकनीकी आधार पर देखें तो बिंदल के कार्यभार संभालने के बाद अध्यक्ष का तीन साल का समय जनवरी 2023 में पूरा होता है. लेकिन एक पहलू ये है कि सुरेश कश्यप ने चूंकि जुलाई में कार्यभार संभाला तो उनका समय जून 2023 में पूरा होना है.

पिछले 3 साल में हिमाचल में 3 प्रदेश अध्यक्ष बन चुके हैं

खैर, ये एक अलग विषय है, लेकिन सुरेश कश्यप अपनी मुखिया वाली पारी में खास सफल नहीं हुए. उनके कार्यकाल में तीन विधानसभा उपचुनाव, एक लोकसभा उपचुनाव, नगर निगम चुनाव व फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार मिली. अब शिमला नगर निगम के चुनाव सिर पर थे कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी. हालांकि वे पच्छाद से दो बार और शिमला संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव जीत कर इस समय सांसद हैं, लेकिन संगठन में खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए. अब हिमाचल में नगर निगम शिमला चुनाव के बाद पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में जाना है. इसके लिए अब नए मुखिया कसौटी पर कसे जाएंगे. सुरेश कश्यप अब 2024 के लिए शिमला सीट से लोकसभा में जाने के लिए कमर कसेंगे.

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