शिमला: विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के बयान पर घमासान मचा हुआ है. एक ओर भाजपा ने उनके इस बयान के लिए विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर का घेराव करने की धमकी दी है, तो वहीं कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा है कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की जिससे विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा को ठेस पहुंचे. शिमला में एक प्रेस कांफ्रेंस में कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा है कि वह सदन में रहते हुए विधानसभा अध्यक्ष हैं और विधानसभा के बाहर वह एक राजनीतिक व्यक्ति हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि वह पहले विधायक हैं और फिर विधानसभा अध्यक्ष हैं. अगर कोई उनसे कुछ सवाल पूछेगा तो वह मुंह नहीं बंद कर सकते.
कुलदीप सिंह पठानिया ने विपिन सिंह परमार पर पलटवार करते हुए कहा कि वह दो साल तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं और इस दौरान उनका व्यवहार कैसा रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष की अपनी मर्यादाओं से वह भलीभांति अवगत हैं. कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विपिन परमार को समझना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते उनके पास एक अथॉरिटी है और नियमों और कायदों से काम करते हैं. सदन के अंदर वह एक अध्यक्ष के तौर पर संविधान, रूल ऑफ बिजनेस और नियमों के मुताबिक काम करते हैं. जब वह अपने चैंबर में बैठते हैं तो वह अपनी प्रशासनिक पावर का इस्तेमाल करते हैं. जब विधानसभा से बाहर होते हैं तो वह एक राजनीतिक प्राणी हैं.
'एमएलए के नाते उनको बोलने का अधिकार': विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अगर बाहर जाकर कोई उनसे किसी बारे में पूछते हैं तो वह अपना मुंह बंद नहीं रख सकते. उन्होंने कहा कि वह पहले एमएलए हैं और फिर अध्यक्ष हैं. विधायक होने के तौर पर उनको बोलने का कुछ अधिकार है. कुलदीप पठानिया ने साफ कहा है कि ऐसा कोई विषय उन्होंने नहीं उठाया जिससे सदन की मर्यादा का हनन हो रहा है. उन्होंने कहा कि विपिन परमार जो वक्तव्य दे रहे हैं, इसका उनको ध्यान रखना चाहिए कि वह स्पीकर नहीं हैं, वह आम सदस्यों की तरह एक सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी विधानसभा की चेयर को डिक्टेट नहीं कर सकता.