शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र में मंगलवार को आउटसोर्स कर्मियों को लेकर जमकर हंगामा हुआ. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष की ओर से सदन में काम रोको प्रस्ताव नियम 67 के तहत लाया गया और आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने को लेकर चर्चा की मांग की. जिस पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा चर्चा का समय नहीं दिया गया और विपक्ष मुखर हो गया. जिसके बाद विपक्ष ने सदन में ही नारेबाजी शुरू कर दी. विपक्ष वेल में आकर काफी देर तक नारेबाजी करता रहा और उसके बाद सदन से वाकआउट कर बाहर आ गए.
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले हजारों कर्मियों को इस सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है. जिस पर चर्चा को लेकर सदन में काम रोको प्रस्ताव लाया गया, लेकिन चर्चा का समय नहीं दिया गया. जबकि विपक्ष की ओर से 9 विधायकों ने नियम 67 के तहत चर्चा की मांगी की थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने चुनावों के दौरान प्रदेश में 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही थी, लेकिन हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री ने जो बजट पेश किया, उसमें रोजगार देने का जिक्र नहीं है. उल्टा जो कर्मचारी अस्थाई तौर पर आउटसोर्स के तहत स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों में सेवाएं दे रहे थे. इस सरकार ने उनका रोजगार भी छीन लिया है. कोरोना काल के दौरान प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सेवाएं दी थी और इन स्वास्थ्य कर्मियों को नौकरी से हटा दिया गया है.