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स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी पर हाईकोर्ट ने तलब किए मुख्य सचिव

स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को शनिवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. हालांकि कल अदालत में अवकाश है, लेकिन इस मामले के लिए विशेष रूप से मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए.

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट

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Published : Sep 25, 2020, 8:06 PM IST

शिमला: प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को शनिवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.

हालांकि, कल यानी शनिवार को अदालत के लिए एक गैर कार्य दिवस है, लेकिन विशेष रूप से इस मामले के लिए मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए.

जनहित में दायर किये गये मामले में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उठाये गए कदमों के बारे में अवगत करवाया गया. कोर्ट को बताया गया कि स्वास्थ्य केन्द्रों सहित कोर्ट में सूची दायर कर दी है.

हालांकि, प्रार्थी की ओर से कहा गया कि स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है. राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के दिशानिर्देशों के अनुसार भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी है.

अदालत ने दविंदर शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घणाहट्टी (शिमला) में मेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर किया गया है. जनहित में दायर याचिका का विस्तार करते हुए कोर्ट ने राज्य के पीएचसी में डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपलब्धता के बारे में जानकारी मांगी थी.

SMC मामले में सरकार ने HC से मांगा अतिरिक्त समय

प्रदेश हाईकोर्ट में एसएमसी मामले को लेकर सरकार के आवेदन पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सरकार ने हाईकोर्ट से फैसले पर अमल के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है.

सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाधित सेवाएं दे रहे हैं. इसलिए मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी है.

सुनवाई के दौरान इन नियुक्तियों को चुनौती देने वाले प्रार्थियों की ओर से बताया गया कि यह बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वह भी हाईकोर्ट के फैसले को एसएलपी के माध्यम से चुनौती देने जा रही है और यहां हाईकोर्ट में फैसले पर अमल के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर रही है.

कोर्ट ने सरकार की इस विरोधाभासी स्थिति को देखते हुए सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वास्तव में सरकार सुप्रीमकोर्ट में एसएलपी दायर करने वाली है. इस कारण कोर्ट ने सरकार के आवेदन पर सुनवाई 29 सितम्बर के लिए टाल दी.

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