शिमला: प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को शनिवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
हालांकि, कल यानी शनिवार को अदालत के लिए एक गैर कार्य दिवस है, लेकिन विशेष रूप से इस मामले के लिए मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए.
जनहित में दायर किये गये मामले में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उठाये गए कदमों के बारे में अवगत करवाया गया. कोर्ट को बताया गया कि स्वास्थ्य केन्द्रों सहित कोर्ट में सूची दायर कर दी है.
हालांकि, प्रार्थी की ओर से कहा गया कि स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है. राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के दिशानिर्देशों के अनुसार भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी है.
अदालत ने दविंदर शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घणाहट्टी (शिमला) में मेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर किया गया है. जनहित में दायर याचिका का विस्तार करते हुए कोर्ट ने राज्य के पीएचसी में डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपलब्धता के बारे में जानकारी मांगी थी.