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सीएम व मंत्रियों की गाड़ी के हूटर पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव व अन्य अफसरों को अदालत का नोटिस - कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के साफ निर्देश है कि वीवीआईपी गाड़ियों में हूटर व सायरन का प्रयोग न किया जाए. ये गैर कानूनी करार दिया गया है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार के मुखिया यानि सीएम के काफिले की तीन गाड़ियों में हूटर है.

सीएम व मंत्रियों की गाड़ी के हूटर पर हाईकोर्ट सख्त

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Published : Sep 26, 2019, 10:39 AM IST

शिमला: मुख्यमंत्री व मंत्रियों के वाहनों में हूटर और सायरन के प्रयोग पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका पर अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव व अन्य संबंधित विभागों के आला अफसरों को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ये नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

इस संबंध में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के साफ निर्देश है कि वीवीआईपी गाड़ियों में हूटर व सायरन का प्रयोग न किया जाए. ये गैर कानूनी करार दिया गया है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार के मुखिया यानी सीएम के काफिले की तीन गाड़ियों में हूटर है.

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इस बारे में एक आरटीआई डाली गई थी और पता चला कि राज्य सचिवालय की 42 गाड़ियों में सायरन या हूटर लगा है. मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को तय की गई है. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव सहित परिवहन विभाग के सचिव और गृह विभाग के सचिव को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

शिक्षा सचिव व निदेशक पर सख्ती

वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशक पर भी सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट के एक आदेश की अनुपालना न होने पर अदालत ने दोनों को तलब किया है. साथ ही कहा है कि क्यों न आदेश की अनुपालना न होने पर उनके खिलाफ दंडात्मक एक्शन लिया जाए? इस मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी. बता दें कि ये मामला एक व्यक्ति के सेवा लाभ से जुड़ा है. न्यायालय ने प्रार्थी इकबाल सिंह को दो माह के भीतर सेवालाभ देने के आदेश जारी किए थे.

अगस्त 2018 को आदेश हुए, लेकिन प्रार्थी को सेवा लाभ नहीं मिले. शिक्षा निदेशक ने आदेश पालना में देरी को लेकर कहा कि एडवाइजरी विभाग के साथ प्रार्थी के मामले की जांच की जा रही है. शिक्षा विभाग ने दो महीने का अतिरिक्त समय मांगा. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने शिक्षा विभाग के जवाब का अवलोकन करते समय पाया कि विभाग बेवजह देरी कर रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव व निदेशक को अदालत में तलब कर लिया.

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