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टका बेंच बुक कैफे को कैदियों की बजाए निजी हाथों को सौंपने पर HC की रोक

हाईकोर्ट ने नगर निगम द्वारा शिमला के रिज स्थित ऐतिहासिक टका बेंच के समीप बुक कैफे के टेंडर को सजायाफ्ता कैदियों की बजाए बड़े बोली दाता को दिए जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. अदालत ने सजायाफ्त कैदी जय चंद द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश पारित किए.

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Published : Oct 24, 2019, 9:41 PM IST

Updated : Oct 24, 2019, 11:09 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम द्वारा शिमला के रिज स्थित ऐतिहासिक टका बेंच के समीप बुक कैफे के टेंडर को सजायाफ्ता कैदियों की बजाए बड़े बोली दाता को दिए जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने सजायाफ्ता कैदी जय चंद द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश पारित किए. प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम शिमला को याचिका का जवाब 13 नवंबर तक दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं.

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में विशेष तौर पर महानिदेशक जेल व सुधारात्मक सेवाएं ने सभी को काम मुहैया करवाने के उद्देश्य से हर हाथ को काम के नाम से मुहिम चलाई थी.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट.

जेल विभाग ने सजायाफ्ता कैदियों को उनके व उनके परिवार के लिए गुजर-बसर हेतु रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस मुहिम को अंजाम दिया गया. सजायाफ्ता कैदियों के पुनर्वास के लिए टका बेंच के पास बुक कैफे खोला गया है.

प्रार्थी के अनुसार टका बेंच के पास कैफे में काम मिलने के कारण उसके जीवन में अच्छा खासा बदलाव आया. इससे वह अपने और अपने परिवार के गुजर बसर अच्छे से करने के लायक हो सका. प्रार्थी के अनुसार कैफे नगर निगम के आवास में चलाया जा रहा है जिसका 80 फीसदी लाभ एसएमसी को दिया जाता है.

यह बुक कैफे 2 सालों से सुचारू रूप से चल रहा है. प्रार्थी के अनुसार कैफे से अच्छा लाभ हो रहा है, जबकि नगर निगम शिमला ने अब इसे टेंडर के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को दिए जाने बाबत टेंडर आमंत्रित किए हैं.

Last Updated : Oct 24, 2019, 11:09 PM IST

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