शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा जिला के लूथन में 3.5 करोड़ रुपए की लागत से बनी राधेकृष्ण गौ सेंक्चुरी को बंद करने की मांग से जुड़े एक मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. इस गौ सेंक्चुरी में दो साल के अंतराल में 1310 गोवंश में से 1200 की मौत हो गई है. ये मौतें अव्यवस्था और लचर प्रबंधन के कारण हुई हैं. इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर गौ सेंक्चुरी को बंद कर उसे अन्य स्थान पर ले जाने की मांग की गई है.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने पवन कुमार की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करने के बाद प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया. प्रार्थी ने याचिका में राज्य के मुख्य सचिव सहित पशु पालन विभाग, वन विभाग के सचिव गौ सेवा आयोग बालूगंज शिमला के निदेशक, केंद्रीय पशु पालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को प्रतिवादी बनाया है. हाईकोर्ट ने इन सभी प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.
मामले में दिए गए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को प्रदेश सरकार ने हिमाचल को सड़कों पर घूमने को मजबूर बेसहारा पशुओं के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक गौ अभ्यारण्य यानी काऊ सेंक्चुरी स्थापित करने बारे में निर्देश तय किए थे. फिर 31 जुलाई 2020 को पशु विभाग ने अभ्यारण्यों में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी किया. उसके बाद 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गौ सदनों की कार्यप्रणाणी तय की गई थी. तत्कालीन राज्य सरकार ने 20 जनवरी 2022 को जिला कांगड़ा के लूथन में राधे कृष्णा गौ अभ्यारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया.
इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रुपए की लागत से यह अभ्यारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गोवंश को रखा गया. इसी दो साल के अंतराल में यहां 1200 गोवंश कुपोषण और बीमारी से प्राण त्याग गए. इसी प्रकार हाल ही में 19 अक्टूबर को एक ही दिन में 15 गोवंश यहां अव्यवस्था और लचर प्रबंधन के कारण मौत का शिकार हो गया. प्रार्थी ने इस अभ्यारण्य को बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है. कोर्ट ने प्रार्थी के लगाए आरोपों पर सरकार और गौ सेवा आयोग से जवाब तलब किया है। मामले पर सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की गई है.
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