शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक पूर्व कर्मचारी को समय पर सेवानिवृति लाभ न देने से जुड़े मामले में टूरिज्म कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की सैलरी पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक प्रार्थी को रिटायरमेंट से जुड़े बकाया वित्तीय लाभ नहीं दे दिए जाते, तब तक महाप्रबंधक की तनख्वाह पर रोक लगी रहेगी.
प्रबंध निदेशक को सैलरी जारी करवाने के लिए कोर्ट की अनुमति भी लेनी होगी. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने नेकराम की दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश पारित किए. मामले के अनुसार प्रार्थी नेकराम ने टूरिज्म कॉरपोरेशन से सेवानिवृत्त होने के बाद बार-बार अपने रिटायरमेंट से जुड़े लाभों को अदा करने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. कॉरपोरेशन अपनी वित्तीय हालत का हवाला देते हुए, सेवानिवृत्ति से जुड़े वित्तीय लाभ देने में टालमटोल करता रहा.
कोर्ट में याचिका दायर करने पर भी उसे पूरे लाभ ब्याज सहित अदा नहीं किये गए. मजबूरन उसे अनुपालना याचिका दायर करनी पड़ी. अनुपालना याचिका की पिछली सुनवाई के बाद भी कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक टूरिज्म कॉरपोरेशन सेवानिवृत्त वित्तीय लाभ देने संबंधित शपथ पत्र कोर्ट में दायर न करें, तब तक महाप्रबंधक का मासिक वेतन जारी न किया जाए.
टूरिज्म कॉरपोरेशन ने कोर्ट के आदेशों के अनुपालना में शपथ पत्र दायर किया था, जिसमें बताया गया कि प्रार्थी को रिटायमेंट के वितीय लाभ दे दिए गए हैं और केवल वित्तिय लाभों पर देय ब्याज राशि रुपये 1,88,093 बाकी है. कॉर्पोरेशन ने अपनी वित्तिय हालत देखते हुए ब्याज राशि 20 किस्तों में देने की बात कही थी कि जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. मामले पर सुनवाई 28 सितंबर को होगी.
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