शिमला:स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर के आने से बच्चे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, जिसके दृष्टिगत राज्य सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है.
बच्चों में पाए जाने वाले आम लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, अस्वस्थता और कमजोरी शामिल है. बच्चों को दस्त, उल्टी, भूख न लगना और स्वाद न आना भी हो सकती है. हालांकि हल्के लक्षणों वाले मामलों में सांस की तकलीफ नहीं होती.
संक्रमण के कारण मध्यम व गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन के स्तर का 94 प्रतिशत से कम होना भी शामिल है. 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 6 मिनट वॉक टेस्ट माता-पिता व अभिभावकों की देखरेख में हाइपोक्सिक लक्षणों को उजागर करने के लिए किया जाना चाहिए.
रेमडेसिविर दवा का ना करें उपयोग
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार बच्चों में कोविड के मामलों के नैदानिक प्रबंधन के लिए केाविड के सभी मामलों को 4 श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा. बच्चों के उपचार में रेमडेसिविर दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसका उपयोग केवल आपातकालीन स्थिति में ही प्राधिकृत अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही किया जा रहा है.
इस आयु वर्ग में स्टेरॉयड का उपयोग मध्यम व गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मामलों में सही समय पर, उचित खुराक में और सही अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर ही किया जाना चाहिए.