शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बेतरतीब निर्माण पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत ऐसे निर्माण कार्यों की अनुमति नहीं देगी. अदालत ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम के तहत 2 महीनों के भीतर नक्शा पास होने या न होने की सूरत में डीम्ड सेंक्शन (deemed sanction) के प्रावधान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी तथाकथित मंजूरी को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान एवं न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह अदालत हिमाचल प्रदेश में बेतरतीब निर्माण की अनुमति नहीं दे सकती. खासकर धर्मशाला में, जो भूकंप के नजरिए से संवेदनशील जोन-फाइव में आता है. मामला धर्मशाला में एक निर्माण कार्य से जुड़ा है. इसी मामले में संबंधित अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी अदालत ने सख्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है, जैसे अफसर नींद में हैं.
दरअसल, धर्मशाला में टीसीपी एक्ट के तहत दो माह में कोई फैसला न होने पर आवेदनकर्ता ने भवन निर्माण की डीम्ड सेंक्शन मांगी थी. उल्लेखनीय है कि टीसीपी एक्ट की धारा 31(5) के तहत प्रावधान है कि यदि विभाग का निदेशक नक्शा पास करने या न करने का फैसला आवेदनकर्ता को 2 महीने के भीतर नहीं बताता तो इसे भवन निर्माण की डीम्ड सेंक्शन मान लिया जायेगा. प्रार्थी ने डीम्ड सेंक्शन के प्रावधान का लाभ मांगते हुए चार मंजिला भवन के निर्माण के लिए जरूरी पत्र जारी करवाने की गुहार लगाई थी.