शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के झंझीड़ी में हुए दर्दनाक स्कूल बस हादसे के पश्चात ऐसे ही एक हादसे से जुड़ी जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश वी रामसुब्रमनियन की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई करने का फैसला लिया. इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता व नूरपुर बस हादसे मामले में नियुक्त कोर्ट मित्र श्रवण डोगरा और अन्य कई अधिवक्तताओ ने भी उक्त मामले पर सुनवाई करने के लिए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष की गुहार लगाई. जिस पर कोर्ट ने इसे नूरपुर स्कूल बस हादसे में लंबित जनहित याचिका वाले मामले के साथ जोड़कर मामले पर सुनवाई तय की है.
गौरतलब है कि 9 अप्रैल 2018 को नूरपुर बस हादसे में 26 स्कूली बच्चों को मिलाकर कुल 29 लोगों की हादसे में मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल 2018 को इस मामले को लेकर स्वतः संज्ञान ले लिया था. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्टीकरण देने को कहा था कि प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चों को घरों से स्कूलों तक लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाली व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए कोई प्रणाली सरकार ने बना रखी है या नहीं.
कोर्ट ने पूछा था कि स्कूलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बसों की निगरानी के लिए स्थानीय प्रशासन ने क्या तरीका निकाला हुआ है. यदि कोई तरीका नहीं है तो क्यों नहीं है और यदि कोई तरीका है तो किस तरह बसों की निगरानी की जाती है. कोर्ट नूरपुर हादसे से जुड़ी बस की जानकारी मांगते हुए पूछा यह भी पूछा था कि उस बस की तकनीकी स्थिति क्या थी व किस वर्ष के मॉडल की बस थी.
कोर्ट ने इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया था व उनसे इस बाबत सुझाव देने को कहा था ताकि भविष्य में इस तरह के दर्दनाक हादसे न हो. स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा दायर शपथपत्र में बताया गया कि बोर्ड के निजी शिक्षण संस्थानों की एफिलिएशन से जुड़े नियमों के तहत इन स्कूलों की ट्रांसपोर्टेशन सुविधा को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी स्कूलों के बच्चों के यातायात को लेकर जरूरी एडवाइजरी जारी की गई थी.