शिमला:हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा से जुड़े मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. क्या आरोपी को वॉइस सैंपल देने के लिए कानूनी बाध्य किया जा सकता है या नहीं, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित था. इस कारण प्रदेश हाईकोर्ट ने विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने के निचली अदालत के आदेशों पर रोक लगा रखी थी.
सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ की ओर से पारित फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जनहित के दृष्टिगत आरोपी को वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ जैसे टेस्ट के लिए बाध्य किया जा सकता है. निजता के मौलिक अधिकार के कारण न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित करने से रोका नहीं जा सकता. हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी को आदेश दिए कि वह जांच अधिकारी की ओर से तय स्थान व समय पर वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट देने के लिए हाजिर हो.
उल्लेखनीय है कि उक्त कथित भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) पी मित्रा भी आरोपी हैं. करीब 9 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज किया है. विजिलेंस के पास आरोपियों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है. इसमें पी मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है. इसकी पुष्टि के लिए वॉइस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाना है.