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ओलावृष्टि से किसानों-बागवानों को भारी नुकसान, विधायक राकेश सिंघा ने की मुआवजे की मांग

शिमला में बुधवार दोपहर बाद हुई ओलावृष्टि से बागवानों को काफी नुकसान हुआ है. हिमाचल किसान सभा कुमारसैन व कोटगढ़ और ठियोग विधायक राकेश सिंघा ने ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन कर सरकार से किसानों के लिए राहत राशि की मांग की है.

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शिमला में ओलावृष्टि से बागवानों हुआ भारी नुकसान

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Published : Apr 16, 2020, 9:59 PM IST

रामपुरः जिला शिमला में बुधवार दोपहर बाद हुई ओलावृष्टि से बागवानों को काफी नुकसान हुआ है. ओलावृष्टि से सेब के साथ अन्य नकदी फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. शिमला के कुफरी, कुमारसैन, कोटगढ़ क्षेत्र में लगातार 20 से 25 मिनट तक ओलावृष्टि का क्रम जारी रहा. ओलवृष्टि को कारण मटर, शिमला मिर्च, टमाटर की फसल बर्बाद हो गई है.

सेब बाहुल क्षेत्र कोटगढ़, कुमारसैन में इन दिनों फलों की फ्लावरिंग व सेंटिग का काम चल रहा था, लेकिन बुधवार दोपहर भारी ओलावृष्टि से को चेरी व प्लम जैसे फल जमीन पर गिर गए हैं.

वहीं, राजधानी शिमला में ओलावृष्टि के कारण तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है. जहां सुबह के समय धूप के कारण गर्मी महसूस की जा रही थी वहीं, ओलावृष्टि के तुरंत बाद ठंडी हवाएं चलनी शुरू हो गई. शाम तक एक बार फिर आसमान साफ हुआ और धूप खिली.

शिमला में ओलावृष्टि से बागवानों हुआ भारी नुकसान

वहीं, गुरुवार को एक बार फिर मौसम खराब रहने की संभावना है. मौसम विभाग ने गुरुवार को प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तेज हवाएं और बारिश की संभावना जताई है.

किसान सभा ने की मुआवजे की मांग

ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में हिमाचल किसान सभा की इकाई कुमारसैन व कोटगढ़ और ठियोग विधायक राकेश राकेश सिंघा ने किसानों बागवानों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की है.

शिमला में बुधवार दोपहर बाद हुई ओलावृष्टि

सिंघा ने बताया कि बीते कल हुई ओलावृष्टि से लगभग 20 से 35 लाख तक की पेटियों का नुकसान हो चुका है. जिनमें सेब, चेरी, प्लम जैसे फल मौजूद है. कोरोना संकट के बीच बागवानों को मजदूर नहीं मिल पाए और ऐसे में बागवान अपने बागीचों में नेट नहीं लगा पाए. जिससे स्टोन फ्रूट की फसल को काफी नुकसान हुआ है.

विधायक ने कहा कि ओलावृष्टि से बीते 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुका है. सरकार ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन कर किसानों-बागवानों को राहत राशि प्रदान करे. किसानों की खून-पसीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं में चला गया है.

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