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सलाखों के पीछे गुड़िया का गुनहगार!, न्याय के लिए 2 साल से अदालती फैसले का इंतजार - kotkhai rape case

ठीक तीन साल पहले आज ही के दिन गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले सामने आया था. हिमाचल प्रदेश को दहला कर रख देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले में बेशक जांच एजेंसी सीबीआई ने गुनहगार को पकड़ लिया है, लेकिन परिजन अभी भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

gudia rape case
फाइल फोटो.

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Published : Jul 6, 2020, 6:31 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 6:37 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश को दहला कर रख देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले में बेशक जांच एजेंसी सीबीआई ने गुनहगार को पकड़ लिया है, लेकिन परिजन अभी भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

आरोपी नीलू चरानी के खिलाफ शिमला की अदालत में ट्रायल चल रहा है. कोविड संकट के कारण सुनवाई प्रभावित हुई है. तीन साल पहले आज ही के दिन यानी 6 जुलाई को दसवीं क्लास की छात्रा गुड़िया का शव नग्न हालत में कोटखाई के दांदी जंगल में मिला था.

इस जघन्य दुष्कर्म मामले से पूरे प्रदेश में आक्रोश की आग जल उठी थी. पुलिस ने आनन फानन में केस को सुलझाने का दावा करते हुए कुछ लोगों को पकड़ा था, लेकिन एक कथित आरोपी की पुलिस कस्टडी में मौत से मामले का रुख बदल गया.

नौबत यहां तक आयी कि जांच सीबीआई को देनी पड़ी. सीबीआई ने वैज्ञानिक तरीके से जांच कर गुनहगार को दबोच तो लिया लेकिन, न्याय का इंतजार लंबा खिंच गया है. गुड़िया के माता पिता न्याय में हो रही देरी से हताश हैं. उनका कहना है कि ऐसे मामलों में न्याय जल्द मिलना चाहिए.

तीन साल पहले 6 जुलाई को मिला था गुड़िया का शव

कोटखाई के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ 4 जुलाई 2017 को दुष्कर्म हुआ और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. दो दिन बाद उसका पार्थिव शरीर नग्न अवस्था में एक खाई में मिला.

जनता के आक्रोश का दबाव और हाईकोर्ट की पहल पर जांच सीबीआई को सौंपी गई. नौ महीने की जांच में सीबीआई ने गुडिया के गुनहगार को तो पकड़ लिया, लेकिन मलाल ये कि तीन साल बाद भी गुड़िया के इंसाफ के लिए निगाहें न्याय पर टिकी हैं.

आईजी रैंक के अफसर को जेल जाना पड़ा

इस बीच, राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम के अफसर भी लापरवाही के कारण कानून के शिकंजे में आए. आईजी रैंक के अफसर को जेल जाना पड़ा. गुड़िया के लिए चार जुलाई का वो अभागा दिन था, जब वो स्कूल से घर के लिए अकेली निकली. जान-पहचान का रास्ता और वही जाने-पहचाने दांदी के जंगल के देवदार, लेकिन एक दरिंदे के वहशीपन ने एक मासूम के सपने का संसार पल भर में नष्ट कर दिया.

सरकार ने जांच के लिए एसआईटी भी बनाई

गुडिया को अकेला पाकर चरानी नीलू के भीतर का शैतान जाग गया और उसने दरिंदगी की हदें पार करते हुए गुडिया के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी. शिमला पुलिस ने पहले जांच की और फिर सरकार ने जांच के लिए एसआईटी बना दी. एसआईटी ने कथित रूप से तत्परता दिखाते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस ने शिमला में मीडिया से बातचीत में अपनी पीठ थपथपा ली.

एक नेपाली की हवालात में मौत

इसी बीच, एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक नेपाली की हवालात में मौत हो गई. इससे मामला बिगड़ गया. जन आक्रोश फैला तो जांच सीबीआई को दी गई. सीबीआई ने गुडिया रेप एंड मर्डर केस से पहले हवालात में मौत का केस सुलझाने पर फोकस किया और एसआईटी के मुखिया जहूर जैदी सहित अन्य को गिरफ्तार कर लिया.

साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर चरानी नीलू की गिरफ्तारी

उसके बाद सीबीआई ने गुडिया के गुनहगार को पकडने पर ध्यान दिया और साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर एक चरानी नीलू की गिरफ्तारी हुई. मामले में चालान पेश किया गया और अदालत में सुनवाई शुरू हुई, लेकिन कोविड संकट के कारण सुनवाई धीमी गति से हो रही है.

हिमाचल पुलिस की लापरवाह जांच

गुडिया के गुनहगार को पकडना सीबीआई के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो गया था. एक तो हिमाचल पुलिस की लापरवाही से मौके पर के सारे सुबूत नष्ट हो गए थे, ऊपर से प्रदेश की जनता में ये संदेश गहरे तक चला गया था कि गुनहगार प्रभावशाली लोग हैं. ये सब हिमाचल पुलिस की लापरवाह जांच के कारण हुआ था.

हैरानी की बात है कि आईजी रैंक के अफसर, एसपी व डीएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी इस कदर जल्दबाजी में थे कि उन्होंने बेसिर-पैर की थ्योरी तैयार कर निर्दोष लोग पकड़ लिए. यदि हिमाचल पुलिस की एसआईटी धैर्य के साथ जांच करती और जुन्गा फॉरेंसिक लैब में आए सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार करती तो आईजी जहूर एच जैदी और अन्य पुलिस अधिकारी हिरासत में न होते.

नीलू की आपराधिक पृष्ठभूमि की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी

सीबीआई की अंतिम स्टेट्स रिपोर्ट के बाद ये तय हो गया था कि गुनहगार केवल व केवल चिरानी अनिल उर्फ नीलू ही है. नीलू की आपराधिक पृष्ठभूमि व नशेड़ी स्वभाव की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी की है.

नशे में किया दुष्कर्म और गुडिया को मार डाला

नशे में किया दुष्कर्म और मार डाला गुडिया को साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुडिया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी.

जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं.

एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो मामला सुलझजाता

यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुनहगार एक ही है.

गुडिया के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान

गुनहगार नीलू ने गुडिया के सीने पर दांत से काटा था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि मृत शरीर में सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था.

बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच को पुष्ट किया. मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि केवल एक आदमी ने ही दुष्कर्म किया है, न कि गैंगरेप हुआ है.

सीबीआई ने लिए थे 250 सैंपल

सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुडिय़ा के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था.

शातिर मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था

कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी.

इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा. सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुडिया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया.

साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है

इससे ये पक्का हो गया कि नीलू ही गुनहगार है. लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम से मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है.

बाद में सीबीआई ने ऐसे आदमियों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था.

नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक आदमी को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम को लेकर पूछताछ की. सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी. जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया.

नीलू ने पूछताछ में कबूल कर लिया है अपना गुनाह

नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है. अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा था. इसके आधार पर सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की. यहां बता दें कि आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था.

उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

गुड़िया रेप केस में कब क्या हुआ

  • 4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र के स्कूल की छात्रा गायब.
  • 5 जुलाई- परिजनों ने छात्रा की जंगल में तलाश की .
  • 6 जुलाई. हलाइला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच शुरु.
  • 7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि .
  • 10 जुलाई- राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आइजी जहूर जैदी को सौंपा गया जिम्मा.
  • 11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
  • 18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या.
  • 19 जुलाई. हाईकोर्ट ने सीबीआइ को सौंपा जांच का जिम्मा.
  • 22 जुलाई: सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज.
  • 29 अगस्त:-आइजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार.
  • 16 नवंबर: पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार.
  • 25 नवंबर- सीबीआइ द्वारा एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दायर.
  • 25 अप्रैल 2018- सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
  • 5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
  • 18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.

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Last Updated : Jul 6, 2020, 6:37 PM IST

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