शिमला: हिमाचल को हतप्रभ कर देने वाले कोटखाई रेप एंड मर्डर केस में सारी जांच हिमाचल हाईकोर्ट की निगरानी में हुई थी. जांच एजेंसी सीबीआई हालांकि रात-दिन एक कर केस सुलझाने में लगी थी, लेकिन हाईकोर्ट की सख्ती भी इस मामले में कम नहीं थी. जनता का गुस्सा और जनभावनाओं को देखते हुए अदालत भी इस मामले पर सतर्क नजरें रख रही थी.
मार्च 2018 में एक सुनवाई के दौरान तो हाईकोर्ट ने इस कदर सख्ती दिखाई कि सीबीआई को चेतावनी दे डाली. अदालत ने तब कहा था कि वो सीबीआई के निदेशक को हाईकोर्ट में तलब करेगी. मार्च 2018 की 29 तारीख को हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी.
उस समय हिमाचल हाईकोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई तो जांच एजेंसी के पसीने छूट गए. अदालत ने जांच टीम को डांट पिलाते हुए कह डाला कि इस तरह तो सीबीआई निदेशक को तलब करना होगा. यही नहीं, अदालत ने सीबीआई निदेशक को तलब भी कर लिया. इससे सीबीआई की जांच टीम सकते में आ गई.
24 घंटे के भीतर सीबीआई की टीम ने दसवीं स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर दी
ये सीबीआई निदेशक को तलब करने के साथ ही हाईकोर्ट की फटकार का असर था कि उसी दिन यानी मार्च 29 को ही सीबीआई ने अदालत से आग्रह किया कि वो नई स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है. फिर 24 घंटे के भीतर सीबीआई की टीम ने दसवीं स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर दी.
उस समय की स्थिति ये थी कि जो सीबीआई की टीम एक दिन पहले अदालत में सहमी-सहमी नजर आ रही थी, वही वकील के माध्यम से गुरूवार को दावा कर रही थी कि 25 अप्रैल को अगली सुनवाई से पहले गुडिय़ा के गुनहगारों का खुलासा हो जाएगा. बाद में जांच कर रही टीम ने नई स्टेट्स रिपोर्ट में अदालत के समक्ष कुछ नए तथ्य भी रखे हैं.
सीबीआई ने इन सबूतों के संकेत नई स्टेट्स रिपोर्ट में दाखिल किए हैं
सीबीआई की तरफ से दावा किया गया कि कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं. सीबीआई वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रही है. ब्लड सैंपल, दांतों के निशान के सैंपल आदि की रिपोर्ट के आधार पर जांच आगे बढ़ी है. सीबीआई ने इन सबूतों के संकेत नई स्टेट्स रिपोर्ट में दाखिल किए हैं.
दिलचस्प ये था कि इससे पहले हाईकोर्ट ने निजी तौर पर सीबीआई निदेशक को 18 अप्रैल को अदालत में तलब कर लिया था. उस समय हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ हालांकि नई रिपोर्ट से भी खास संतुष्ट नहीं थी.
जांच एजेंसी को समझना चाहिए कि ये अपराध बेहद जघन्य है
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इतना जरूर कहा कि अदालत ने ये केस मीडिया से प्रभावित होकर नहीं लिया है. न ही इस केस में अब तक मीडिया ने गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की है. हाईकोर्ट ने कहा कि फिर भी जांच एजेंसी को समझना चाहिए कि ये अपराध बेहद जघन्य है और इससे जनता की भावनाएं आहत हुई हैं. इस सुनवाई के दौरान सीबीआई के एसपी सुरेंद्र सिंह गुरुम और डीएसपी सीमा पाहुजा भी अदालत में मौजूद थीं.
बाद में मीडिया से बातचीत में सीबीआई के वकील अंशुल बंसल ने कहा था कि जांच एजेंसी को कुछ फारेंसिक सबूतों का इंतजार था, जो अब मिल गए हैं. इसलिए हमने अदालत से दोबारा केस सुनने का आग्रह किया था. उन्होंने दावा किया कि केस की सुनवाई की अगली तिथि यानी 25 अप्रैल 2018 से पहले आरोपी हाईकोर्ट और मीडिया के सामने होंगे.
हिमाचल को दहला देने वाले इस जघन्य अपराध में 4 जुलाई 2017 को नाबालिग छात्रा गुड़िया घर आते समय लापता हुई थी और 6 जुलाई को कोटखाई के हलाईला के जंगल में उसका शव मिला था. सीबीआई ने 22 जुलाई 2017 को एफआईआर दर्ज कर ये केस अपने हाथ लिया था.
नई स्टेट्स रिपोर्ट के बावजूद कम नहीं हुई थी हाईकोर्ट की सख्ती
सीबीआई की ताजा स्टेट्स रिपोर्ट देखने के बाद भी खंडपीठ ने कहा कि अदालत निदेशक को बुलाने के अपने पिछले फैसले से पीछे नहीं हट सकती, लेकिन ये अदालत उन्हें पेश होने के लिए अतिरिक्त समय दे रही है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई 25 अप्रैल 2018 को इस केस में ताजा स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे. यदि आगामी रिपोर्ट से अदालत संतुष्ट हुई तो उसी सूरत में सीबीआई निदेशक को कोर्ट में पेश होने से छूट मिलेगी. अन्यथा सीबीआई निदेशक को 9 मई 2018 को हाईकोर्ट में पेश होना ही पड़ेगा.
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