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राज्यपाल दत्तात्रेय ने केंद्र से प्रदेश में नशा रोकथाम और विश्लेषण प्रबंधन केंद्र खोलने का किया आग्रह

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को लिखे एक पत्र और दूरभाष पर चर्चा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के बच्चों, युवाओं और अन्य लोगों में नशे की रोकथाम के प्रबंधन के लिए एनआईपीईआर को मौहाली को हिमाचल प्रदेश में एक उत्कृष्ट केंद्र खोलने के निर्देश देने का आग्रह किया है.

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Published : Aug 18, 2020, 7:03 PM IST

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

शिमला: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान केंद्र अधिनियम-1998 के अनुरूप नशा रोकथाम और विश्लेषण प्रबंधन केंद्र स्थापित करने का आग्रह किया है.

राज्यपाल ने भारत सरकार के केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को लिखे एक पत्र और दूरभाष पर चर्चा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के बच्चों, युवाओं और अन्य लोगों में नशे की रोकथाम के प्रबंधन के लिए एनआईपीईआर को मौहाली को हिमाचल प्रदेश में एक उत्कृष्ट केंद्र खोलने के निर्देश देने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि युवाओं में नशे की समस्या एक बड़ा मुद्दा बन गया है और हिमाचल प्रदेश भी इससे नहीं बच पाया है. इस मुद्दे पर एनआईपीईआर जैसे संस्थानों के विशेष सहयोग के माध्यम से व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.

राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का ग्रामीण राज्य है और यदि राज्य में उत्त्कृष्टता केंद्र खोला जाता है तो इस अधिनियम का जनादेश सही ढ़ग से पूरा होगा. उन्होंने कहा कि भारत के फार्मास्यूटिकल क्षेत्र मेें हिमाचल तेजी से विकसित क्षेत्रों में उभरा है.

राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि राज्य एशिया में निर्मित 35 प्रतिशत फार्मा उत्पादों का उत्पादन करता है और देश के कुल फार्मा निर्माण की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सभी बड़ी औद्योगिक कंपनियों सहित 300 से अधिक फार्मा कंपनियां यहां स्थित हैं.

राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल देश का फार्मा हब है और इस क्षेत्र को और अधिक विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में एक बल्क ड्रग पार्क स्थापित करने के लिए भूमि चयनित की है. उन्होंने कहा कि हिमाचल हैदराबाद के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है.

राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 जैसी चुनौतियों और भारत-चीन व्यापार में आ रही समस्याओं के कारण मेक-इन-इंडिया पर अधिक ध्यान देने और हिमाचल प्रदेश में उत्त्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है. इससे न केवल हिमाचल का फार्मा क्षेत्र मजूबत होगा, साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी मदद होगी.

दूरभाष के माध्यम से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने राज्यपाल को आश्वासन दिया कि वे प्रदेश में इस केंद्र को स्थापित करने की संभावनाएं खोजने के मामले पर अवश्य विचार करेंगे.

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