शिमला: प्रदेश के कॉलेजों को केंद्र से बजट लेने के लिए नैक से मान्यता और नैक से बेहतर ग्रेड भी ग्रांट लेनी होगी. नैक ने शिक्षण संस्थानों को अपनी ग्रेडिंग देने के नियमों में ये सपष्ट कर दिया है कि अगर कॉलेज्स को नैक से बेहतर ग्रेड नहीं मिलता है तो उन्हें केंद्र से ग्रांट भी नहीं मिलेगी.
जानकारी के अनुसार, केवल ए प्लस प्लस, ए प्लस, बी प्लस और बी ग्रेड पाने वाले कॉलेजों को ही केंद्र की ओर से ग्रांट दी जाएगी. नैक के इस नियम ने अब प्रदेश के कॉलेजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में पहले ही कॉलेज नैक से एक्रीडिटेशन लेने में पीछे हैं. वहीं, जो कॉलेज नैक से एक्रीडिटेशन ले भी रहे हैं, उन्हें भी ज्यादा नैक से अच्छे ग्रेड नहीं मिल पा रहे हैं.
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय प्रदेश में अभी तक 37 कॉलेज्स को नैक से एक्रीडिटेशन मिली है. इसमें से केवल दो ही कॉलेज्स के पास ए ग्रेड है, जबकि अन्य कॉलेज्स को बी प्लस, बी और सी ग्रेड से ही संतोष करना पड़ रहा है. प्रदेश में जिन 15 कॉलेज्स ने नैक से मान्यता नहीं ली है उनकी मुश्किल केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की नई शर्त के चलते बढ़ गई है.
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एमएचआरडी ने तय किया है कि नैक से अगर कॉलेज्स को सी ग्रेड मिलता है तो उन्हें ग्रांट जारी नहीं की जाएगी. जिस तरह का ग्रेड कॉलेज्स को मिलेगा उसी के आधार पर बजट भी कॉलेज्स को दिया जाएगा. हालांकि, इससे पहले रूसा की ग्रांट के लिए इस तरह की कोई शर्त एमएचआरडी की ओर से नहीं थी.
आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में 37 कॉलेजों में से 27 कॉलेज्स के पास बी और बी प्लस ग्रेड है. इसके अलावा 5 कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने नैक एक्रीडिटेशन करवाई है और उन्हें सी ग्रेड मिला हुआ है. ऐसे में इन कॉलेज्स को तब तक ग्रांट जारी नहीं होगी जब तक इनका ग्रेड सी से ऊपर नहीं बढ़ता.
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वहीं, प्रदेश में 63 कॉलेज्स अभी ऐसे हैं जो नैक से मान्यता के लिए एलिजिबल ही नहीं है. अब इन कॉलेज्स को मान्यता लेने के लिए 5 साल का समय पूरा करने के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर समेत मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान देना होगा, जिससे कि नैक से मान्यता लेने के समय ये कॉलेज बेहतर ग्रेड हासिल कर सकें. अगर नैक से इन कॉलेज्स को सी ग्रेड से कम ग्रेड मिलता है तो इन कॉलेज्स की राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत करोड़ों का जो बजट विकास कार्यों के लिए मिलता है उस बजट से हाथ धोना पड़ेगा.
बता दें कि रूसा के दूसरे चरण में ग्रांट को लेकर एमएचआरडी ने नियमों को कड़ा कर दिया है. अब कॉलेज्स को ग्रांट दी जा रही है, जिनका इंफ्रास्ट्रक्चर और छात्रों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाएं बेहतर हैं.