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प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में लदे आड़ू के पेड़, बागवानों के खिले चेहरे - उतराखंड

प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में इस बार आड़ू की अच्छी फसल होने के कारण बागवानों के चेहरे खिल उठे हैं. यहां आड़ू की फसल अपने अंतिम चरण पर है.

आड़ू के पेड़

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Published : May 20, 2019, 7:40 PM IST

शिमला: प्रदेश में सेब के बाद अब स्टॉन फ्रूट आड़ू की भी खूब बहार लगी हुई है. इस बार आड़ू की अच्छी फसल होने के कारण बागवानों के चेहरे खिल उठे हैं.

रामपुर के साथ लगते क्षेत्र नीरसु के बागवानों का कहना है कि आज दिन यहां पर आड़ू की फसल अपने अंतिम चरण पर है. इसका टेस्ट और कलर आ चुका है. कुछ दिनों में इसका तुड़वा शुरू हो जाएगा. जब फसल कम होती है तो उस समय मंडी में अच्छे दाम मिल जाते हैं. जब अधिक फसल होती है तो उस समय दाम कम दाम मिलने की संभावना होती है.

आड़ू के पेड़

स्थानीय बागवानों का कहना है कि पिछली बार एक किलो 50 से 60 रुपये प्रति बिका था, लेकिन इस बार भी दाम अच्छे मिलने की संभावना है. इन्हें मंडी तक पहुंचाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि क्षेत्र में इसके पेड़ अभी बागवानों ने कम लगाए हैं. जिससे यहां से फल मंडी तक पहुंचने के लिए एक गाड़ी होना जरूरी है ताकि उसे चंडीगढ़ और दिल्ली की मंडियों तक ले जाया जा सके.

आड़ू के पेड़

बता दें कि आड़ू की पैदावार सबसे पहले चीन से शुरू हुई, लेकिन अब अन्य देशों में भी ये पैदा हो रहे हैं. भारत में ये फल हिमाचल प्रदेश, उतराखंड और जम्मू कश्मीर में पैदा होता है. ये लाल रंग के साथ पीले रंग का भी होता है. आड़ू एक रसीला फल है जो ग्रीष्मकाल में पैदा होता है और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. ये बाहर से सेब की तरह होता है, लेकिन इसे अंदर से इसका बीज इसे सेब से अलग कर लेता है.

आड़ू के पेड़

आड़ू का उपयोग जैम और जेली बनाने के लिए भी किया जाता है. सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण आड़ू का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है. इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ शरीर की क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं.

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