शिमला:राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कानून लोकतंत्र का सार है और न्यायपालिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार मिलें. वह आज यहां होटल पीटरहॉफ में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान उसे आकार देने वाले लोगों से जाना जाता है और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने 13 प्रतिष्ठित न्यायाधीशों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में भेजने का गौरव प्राप्त किया है.
इसके अलावा इस न्यायालय के तीन न्यायाधीशों ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का पद संभाला है और न्यायमूर्ति संजय करोल वर्तमान में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं।दत्तात्रेय ने कहा कि आम नागरिक न्यायपालिका को बड़ी आशा और अपेक्षा के साथ देखता है.
उन्होंने न्याय प्राप्त करने का सामथ्र्य और न्यायिक प्रक्रिया में देरी को आपस में जोड़ने पर जोर दिया गया. साथ ही चिंता व्यक्त की कि अधिकांश लोग कानूनी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं और कई लोगों को छोटे-छोटे मामलों में भी कर्ज के जाल में धकेल दिया गया है, जो वर्षों से हमारी अदालतों में चल रहे हैं.
राज्यपाल ने कहा कि मुफ्त कानूनी सेवा और मामलों के समय पर निपटान का प्रावधान सभी के लिए न्याय को प्रोत्साहन प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि हमें अपनी मुफ्त कानूनी सहायता प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है.
वर्षों से उच्चतम न्यायालय द्वारा विभिन्न निर्णयों ने लोकतंत्र को मजबूत किया है, व्यक्ति की रक्षा की है और शोषितों और जरूरतमंदों को आशा दी है. चाहे संविधान की मूल संरचना की अवधारणा हो या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऋणी हैं.
राज्यपाल ने कहा कि बहुलतावादी चरित्र और कई चुनौतियों के बावजूद हमारी एकता बरकरार रही है, जिसका एक कारण निडर और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली है. राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की है और आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में भी यही जारी रहेगा.
मुख्य न्यायाधीश एल. नारायण स्वामी ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने का सौभाग्य मिला है और यह प्रसन्नता की बात है कि इस उच्च न्यायालय के अस्तित्व का 50वां वर्ष मनाया जा रहा है.
उच्च न्यायालय के इतिहास को याद करते हुए, न्यायमूर्ति स्वामी ने कहा कि 25 जनवरी, 1971 को जब राज्य अस्तित्व में आया, तब शिमला में अपने उच्च न्यायालय को स्थापित किया. इसके पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएच बेग थे और न्यायमूर्ति डीबी लाल और न्यायमूर्ति सीआर ठाकुर न्यायाधीश थे.