शिमलाःप्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में शुगर का खतरा बढ़ जाता है. इसके लिए गर्भ के 24 से 28 सप्ताह के बीच हर गर्भवती महिला का डायबिटीज टेस्ट होता है.
इस टेस्ट को करने के लिए जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) या ग्लूकोज-75 का टेस्ट किया जाता है, लेकिन प्रदेश के एकमात्र मातृ-शिशु अस्पताल केएनएच में सिविल सप्लाई की दुकानों में ग्लूकोज-75 की सप्लाई नहीं हो रही है, पिछले कई दिनों से यहां महिलाओं को टेस्ट करवाने के लिए ग्लूकोज नहीं मिल रहा है. इससे यहां पर अब महिलाओं के शुगर टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं.
सरकार ने ग्लूकोज-75 के लिए केवल सिविल सप्लाई काे ही अधिकृत किया है, लेकिन अब यहां निजी मेडिसन शाॅप पर भी ग्लूकाेज नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब महिलाओं के लिए परेशानी खड़ी हाे गई है. यदि समय पर डायबिटिज का पता नहीं चलता, ताे इससे बच्चाें काे डायबिटिज हाेने का खतरा बढ़ जाता है.
क्या है जीटीटी या ग्लूकाेज 75 टेस्ट
जीटीटी यानी ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट एक प्रकार का टेस्ट है, जिसमें 75 ग्राम ग्लूकोज का प्रयोग करके 1 व 2 घंटों के बाद के ब्लड में ग्लूकोज स्तर को मापा जाता है. इस टेस्ट से महिलाओं काे काेई खतरा नहीं हाेता और टेस्ट के बाद भी काेई परेशानी नहीं आती.
यह टेस्ट आमतौर पर 24 से 28 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच कराया जाता है. हालांकि अगर पहले से गर्भवती महिला काे डायबिटिज है, ताे यह टेस्ट पहले करवाने के लिए कहा जाता है. ऐसा 16 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था पर किया जाता है और फिर 24 से 28 सप्ताह की प्रेगनेंसी में यह दोबारा कराया जाता है.
इसलिए नहीं आ रही सप्लाई