शिमला: जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) की तीन सदस्यों की टीम छितकुल में अध्ययन करेगी. इसकी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार आवश्यक कमद उठाएगी ताकि भविष्य में किन्नौर में इस प्रकार की घटनाएं रोकी जा सकें. आपदा प्रबंधन विभाग (Disaster management department) के विशेष सचिव सुदेश मोकटा ने कहा कि चंडीगढ़ से किन्नौर के लिए रवाना हो गई है.
सुदेश मोक्टा ने कहा कि किन्नौर जिला की भौगोलिक परिस्थितियां (Geographical conditions) काफी कठिन है. दुर्भाग्य से किन्नौर में हुए हादसे में 9 लोगों की जान चली गई है और 2 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. मोक्टा ने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर से मिली जानकारी के अनुसार सड़क खोलने का कार्य जोरों पर चल रहा है. बड़ी चट्टानों को हटाने के लिए ब्लास्टिंग का सहारा लिया जा रहा है. अभी तक 30 प्रतिशत मार्ग खोल दिया गया है. उन्होंने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हो, इसके लिए सेंट्रल जियोलॉजिस्ट की टीम किन्नौर जिला में उस स्थान पर जाएगी जहां यह घटना हुई है. यह तीन सदस्यीय टीम कल चंडीगढ़ से किन्नौर पहुंचेगी और वहां की भौगोलिक परिस्थितियों का जायजा लिया जाएगा. मोक्टा ने कहा कि पूरे किन्नौर को पायलट जिला के आधार पर स्टडी किया जाएगा.
किन्नौर के छितकुल में 90 के करीब पर्यटक फंसे हुए हैं. उनको मंगलवार शाम तक निकाल लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग को प्रोटोकॉल के तहत खोला जाएगा. प्रशासन की तरफ से निगरानी की जाएगी. तभी पर्यटकों को वहां से निकाला जाएगा. तीन लोगों की टीम जियोलॉजिकल सर्वे और इंडिया की तरफ से यह टीम किन्नौर आ रही है. यह टीम केवल सांगला जाएगी और वहां पर जांच करेगी. किन्नौर की भौगोलिक स्थिति काफी कठिन है. पूरे जिला में पत्थर खिसकने की घटनाएं होती रहती हैं. इसके अलावा पूरा एनएच-22 खतरे की जद में है. इसलिए काफी डिटेल में प्लान बनाने के बाद ही जिला का अध्ययन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिला का एरियल सर्वे भी किया जाएगा. इस पूरे क्षेत्र में चट्टानें काफी ऊंचाई पर हैं. वहां से जब ये चट्टानें नीचे गिरती हैं तो गति पकड़ लेती हैं और खतरनाक हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि या तो ऐरियल सर्वे किया जाएगा या फिर ड्रोन के माध्यम से, लेकिन ये सब जियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद ही तय हो पाएगा.