शिमला: कोरोना के इस दौर में प्रदेश सरकार की ओर से सभी तरह की गतिविधियां शुरू कर दी गई है. सभी दुकानें, मॉल कॉम्प्लेक्स, सिनेमाहॉल सभी खोल दिए गए है, लेकिन शिमला के मेन आकर्षण ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में अभी भी ताला लटका हुआ नजर आ रहा है. गेयटी थियेटर में ना तो रंगमंच और साहित्य से जुड़ी गतिविधियां हो रही है ना ही पर्यटक इस ऐतिहासिक गेयटी थियेटर को घूम पा रहे हैं. 10 माह से भी ज्यादा समय बीत चुका है, जबसे यह गेयटी थियेटर बंद पड़ा है.
युवा थियेटर आर्टिस्ट ताक रहे हैं राह
शिमला में एक यही थियेटर है. जहां साहित्यिक गतिविधियों के साथ ही प्ले या अन्य सांस्कृतिक आयोजन होते हैं. अलग-अलग थियेटर ग्रुप्स यहां अपनी प्रस्तुतियां देते हैं, लेकिन थियेटर के बंद होने की वजह से यह सभी गतिविधियां भी बंद पड़ी हैं. युवा थियेटर आर्टिस्ट इस थियेटर के खुलने की राह ताक रहे हैं. कोविड के लॉक डाउन के दौरान उनके पास पहले ही काम नहीं था और अब जब स्थिति सामान्य हुई है, तो उसके बाद थियेटर को ही नहीं खोला जा रहा है. इतना ही यह थियेटर भाषा,कला संस्कृति विभाग की आमदनी का भी जरिया है.
गेयटी थिएटर को जल्द खोले प्रशासन
विभाग के कार्यक्रमों को छोड़कर थियेटर में जितने भी कार्यक्रम होते हैं. वह बुकिंग पर करवाए जाते हैं. ऐसे में इतने लंबे समय से जब थियेटर बंद है, तो विभाग को भी नुकसान ही उठाना पड़ रहा है. विभाग की ओर से अभी तक इस थियेटर को खोलने की दिशा में कोई पहल नहीं कि गई है, लेकिन अब थियेटर आर्टिस्ट भी यह मांग कर रहे हैं. विभाग को गेयटी थियेटर को खोलना चाहिए और यहां रगमंच से जुड़ी गतिविधियों को शुरू करना चाहिए. जिससे युवाओं को भी मंच प्रदान हो सके और वह अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकें.
1887 में बना था गेयटी थिएटर
बता दें कि शिमला की ऐतिहासिक धरोहर गेयटी थियेटर ना केवल विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र है बल्कि सिने जगत से जुड़े अभिनेताओं ओर थिएटर से जुड़े कलाकारों का दिल इस थियेटर के लिए धड़कता है. इस थियेटर का वर्चस्व ब्रिटिशकालीन समय से लेकर अभी तक भी उसी तरह बरकरार है. यह इमारत आज भी शिमला की शान मानी जाती है. साल 1887 में यह थियेटर बनाया गया जो देश ओर प्रदेश के तमाम तरह के इतिहास को संजोए हुए है.