हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

आईजीएमसी में हेपाटाइटिस-बी और सी के नहीं हो रहे टेस्ट, मरीजों को खर्च करने पड़ रहे हजारों रुपये

By

Published : Feb 15, 2021, 8:01 PM IST

आईजीएमसी में हेपेटाइटिस-बी, सी के निशुल्क टैस्ट की सुविधा, यहां सरकार ने हेपेटाइटिस-बी और सी के टैस्ट की सुविधा निशुल्क की थी, लेकिन अब मरीजों को इन दोनों टैस्ट को एस.आर.एल. लैब में भारी पैसे खर्च कर करवाने पड़ रहे है.

Free test of Hepatitis-B and C in IGMC
फोटो

शिमला:आईजीएमसी में मरीजों के निशुल्क टेस्ट की सुविधा हाथी के दांत साबित हो रही है. यहां सरकार ने हेपेटाइटिस-बी और सी के टेस्ट की सुविधा निशुल्क दे रखी थी, लेकिन अब मरीजों को दोनों टेस्ट निजी लैब में भारी पैसे खर्च कर करवाने पड़ रहे हैं. टेस्ट करवाने से प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं, जबकि यहां पर रोजाना हेपाटाइटिस-बी और सी के मरीज आ रहे है. बताया जा रहा है कि प्रशासन ने दोनों टेस्ट करने की मशीने कोरोना टेस्टींग के लिए लगाई है. ऐसे में सरकारी लैब में यह टेस्ट नहीं हो रहे हैं.

हेपेटाइटिस-बी, सी की जॉच पड़े महगें

हेपेटाइटिस-बी का डीएनए और हेपेटाइटिस-सी का आरएनए सबसे मंहगे टेस्ट होते हैं. यह दोनों टेस्ट अस्पताल में संचालित निजी लैब में 3000 से 3500 के बीच हो रहे हैं, जबकि आईजीएमसी की अपनी सरकारी लैब में यह दोनों निशुल्क होते थे. ऐसे में अब मरीजों को निजी लैब में धक्के खाने को मजबूर होना पड़ रहा है. आईजीएमसी में प्रदेश भर से सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं, लेकिन उन्हें टैस्ट तक की सुविधा नहीं मिल रही है.

संक्रमित सूई या असुरक्षित यौन संबंधों से फैलता है हैपाटाइटिस-बी

हेपेटाइटिस-बी वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या तो संक्रमित सूई या फिर असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से फैल सकता है. यह वायरस ऐसा है कि इसे पूरी तरह से शरीर से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन दवाइयों के जरिए जरूर इसे कंट्रोल में किया जा सकता है. हेपेटाइटिस बी-बड़ी ही शांति के साथ अटैक करता है और व्यक्ति को इसके बारे में पता भी नहीं चलता. यही वजह है कि अनजाने में ही यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है.

हेपेटाइटिस-बी के लक्षण

हेपेटाइटिस-बी के लक्षण जोड़ों में दर्द, पेट में दर्द, उल्टी और कमजोरी का अहसास होता है. हमेशा थकान का लगना. स्किन का रंग पीला हो जाता है और आंखों का सफेद हिस्सा भी पीला पड़ जाता है. बुखार आ जाता है और यूरिन का रंग भी गाढ़ा हो जाता है. भूख का लगना कम हो जाता है. अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो 24 घंटे के अंदर डॉक्टर से संपर्क करें. त्वरित तौर पर दी गई ट्रीटमेंट हेपेटाइटिस-बी से बचाव कर सकती है. किसी और के साथ सूई, रेजर, टूथब्रश वगैरह शेयर न करें, जिनमें इंफेक्शन वाला ब्लड हो सकता है.

क्या होता है हेपेटाइटिस-सी

हैपेटाइटिस-सी रक्त संक्रमण से होने वाली बीमारी है. देश के जिन हिस्सों में यह बीमारी फैली हुई है, वहां उसकी मुख्य वजह असुरक्षित इंजेक्शन, बिना जांच के ब्लड ट्रांसफ्यूजन करना, सर्जरी के दौरान सुरक्षा का ख्याल नहीं रखने और नशाखोरों एवं डायबिटीज रोगियों द्वारा मादक पदार्थ लेने के लिए अनस्टरलाइज्ड सुइयों का इस्तेमाल करना है. डिस्पोजेबल सुइयों का बार-बार इस्तेमाल करने पर स्थिति को बेहद गंभीर बन सकती है.टूथब्रश और रेजर जैसी निजी वस्तुओं को संक्रमित व्यक्ति के साथ साझा करने से भी यह बीमारी फैलती है और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी ऐसा हो सकता है. बॉडी पियर्स कराने और टैटू बनवाने से भी इस संक्रमण को बढ़ावा मिलता है. समस्या है कि हैपेटाइटिस-सी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और इसके लक्षण तभी दिखते हैं, जब बीमारी बेहद गंभीर स्टेज पर पहुंच जाती है.

ये भी पढ़े:-बिलासपुर SP दिवाकर शर्मा ने लगवाई कोविड वैक्सीन, पुलिस कर्मचारियों से की ये अपील

ABOUT THE AUTHOR

...view details