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हिमुडा के टेंडर में धांधली पर HC की सख्त टिप्पणी, चार सदस्यीय कमेटी को सौंपी जांच

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में बरती जा रही धांधलियों की जांच का जिम्मा चार सदस्यीय कमेटी को सौंपा है. जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट आगामी चार सप्ताह में अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि इस मामले में हिमुडा ने अपने स्तर पर ही जांच कमेटी गठित की थी.

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Published : Dec 2, 2020, 8:11 PM IST

Himachal High Court
हिमाचल हाई कोर्ट.

शिमला: हाई कोर्ट ने हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में बरती जा रही धांधलियों की जांच का जिम्मा चार सदस्यीय कमेटी को सौंपा है. जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट आगामी चार सप्ताह में अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि इस मामले में हिमुडा ने अपने स्तर पर ही जांच कमेटी गठित की थी.

हाई कोर्ट ने हिमुडा द्वारा गठित की गई जांच कमेटी से असहमति जताते हुए हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली चार सदसीय कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में भ्रष्टाचार निरोधक एवं सतर्कता विभाग के महानिरीक्षक के साथ लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंताओं को बतौर सदस्य बनाया है.

45 करोड़ रुपये की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं बरते जाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है.

हिमुडा की कार्यप्रणाली पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अपने आदेश में हिमुडा की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियों द्वारा अपने चेहते को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर (निविदा) आवंटन में हेराफेरी और अनियमितताएं बरती हैं, जिससे प्रदेश के राजस्व को नुकसान हुआ है.

अदालत से तथ्य और मामले से जुड़ी जानकारी छुपाने पर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियों कि कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी दर्ज कि है. अदालत ने पाया कि वर्ष 2017 में हिमुडा द्वारा 45 करोड़ रुपये की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए ऑनलाइन टेंडर मांगे थे.

पहले मांगी गई थी 85 करोड़ की निविदाएं

अदालत ने पाया कि इससे पहले भी हिमुडा ने शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा ही प्रस्तावित कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए टेंडर मांगे थे, लेकिन पहले टेंडर (निविदा) राशि लगभग 85 करोड़ रुपये थी.

हिमुडा ने इस टेंडर पर कोई कदम नहीं उठाया और इसे निरस्त करते हुए दोबारा से ऑनलाइन टेंडर मांगे. इस बार हिमुडा ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा में कुछ जरूरी शर्तें हटा दी और वासु कंस्ट्रक्शन कंपनी को कार्य आवंटित कर दिया.

हाई कोर्ट ने तलब किया था पूरा रिकॉर्ड

प्रार्थी दलीप सिंह राठौर और अन्य द्वारा दायर याचिका कि सुनवाई के पश्चात् हाई कोर्ट ने इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया था. साथ ही अदालत ने हिमुडा के अधीक्षण अभियंता कि अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया.

टेंडर प्रक्रिया की जांच पर कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि, इस टेंडर प्रक्रिया में धांधली हुई है और अयोग्य उम्मीदवार को टेंडर आवंटित किया गया. हिमुडा के उच्च अधिकारी ने अपने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि टेंडर का आवंटन हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कहने पर किया गया.

साथ ही हिमुडा के अधीक्षण अभियंता ने अदालत को शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि उसने इस मामले में पांच अलग-अलग रिपोर्ट दी है, लेकिन अदालत के समक्ष किसी भी रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया. मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात् अदालत ने पाया कि हिमुडा ने अपना पक्ष रखते समय अदालत से जरूरी जानकारी छुपाई है.

29 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में की गई धांधलियों को उजागर करने के लिए कमेटी का गठन किया जाना जरुरी है, ताकि आगामी टेंडर प्रक्रिया में धांधलियों को रोका जा सके. मामले कि आगामी सुनवाई 29 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

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