सूरज हत्याकांड: पूर्व SP डीडब्ल्यू नेगी को नहीं मिली जमानत, सुनवाई की अगली डेट अभी तय नहीं
सूरज लॉकअप हत्याकांड मामले में हिरासत में चल रहे पूर्व शिमला एसपी डीडब्ल्यू नेगी की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई. जज अजय मोहन ने निजी कारणों से मामले में सुनवाई नहीं की और मामले की फाइल मुख्यान्यायधीश को भेज दी है.
शिमला: बहुचर्चित कोटखाई गुड़िया रेप मर्डर मामले से जुड़े सूरज लॉकअप हत्याकांड मामले में हिरासत में चल रहे पूर्व शिमला एसपी डीडब्ल्यू नेगी की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई. जज अजय मोहन ने निजी कारणों से मामले में सुनवाई नहीं की और मामले की फाइल मुख्यान्यायधीश को भेज दी है.
अब मुख्य न्यायधीश ही फैसला करेंगेकि मामले में कौन जज सुनवाई करे. फिलहाल अगली डेट अभी तय नहीं की गई है.सूत्रों के अनुसार पूर्व एसपी नेगी पर झूठी एफआईआर बनाने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने, तथ्यों को छुपाने और पकड़े गए एक कथित आरोपी राजू के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप है.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कुछ लोगों को गवाह भी बनाया है. इनमें पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मी भी शामिल बताए गए हैं. कोटखाई में छात्रा के साथ हुई दरिंदगी व मर्डर के दौरान नेगी शिमला में एसपी थे. इस मामले में गिरफ्तार एक आरोपी सूरज की कोटखाई थाने में हत्या के दौरान भी वह शिमला एसपी थे.कोटखाई के गुड़िया रेप और मर्डर केसमें सीबीआई ने बड़ीगिरफ्तारी करते हुए शिमला के तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को गिरफ्तार किया था.
बता दें कि गुड़िया चार जुलाई को स्कूल से घर लौटने के बाद से लापता हो गई थी और छह जुलाई की सुबह उसका शव बरामद हुआ था. पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन कोटखाई पुलिस लॉकअप में एक आरोपी सूरज की कस्टोडियल डैथ हो गई थी.इसके बाद लोगों के दवाब के बीच यह मामला सीबीआई को सौंपा गया. इसके लिए राज्य सरकार खुद हाईकोर्ट गई थी और वहां अर्जी लगाकर मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया था. इसके बाद सीबीआई ने सूरज की हत्या के आरोप में प्रदेश पुलिस के आईजी जहूर जैदी समेत आठ पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया था.
भारी पड़ी गुड़िया केस की जांच में लापरवाही
शिमला के कोटखाई इलाके के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा के साथ दुष्कर्म हुआ था. दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी. जनता के गुस्से के कारण जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई ने बिखरी कड़ियां जोड़ते हुए गुड़िया के गुनहगार तक पहुंचने में तो कामयाबी पाई, लेकिन इससे पहले हिमाचल पुलिस ने लापरवाही भरी जांच से अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली.
राज्य सरकार ने जहूर जैदी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया और केस सुलझाने का दावा किया. बाद में एक आरोपी सूरज की हवालात में मौत हो गई. मामला वहीं से बिगड़ा. जांच सीबीआई को सौंपी गई और सीबीआई ने गुड़िया के गुनहगार को पकड़ने से पहले अपना फोकस कस्टोडियल डैथ मामले पर रखा. पुख्ता सुबूत जुटाने के बाद सीबीआई ने आईजी जैदी और एसआईटी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया. इसी केस में बाद में शिमला के एसपी रहे नेगी को भी गिरफ्तार किया गया. चूंकि नेगी उस समय शिमला के एसपी थे और एसपी हवालात में कैद आरोपियों के कस्टोडियन होते हैं. इसी लापरवाही का खामियाजा अब आईजी लेवल के अधिकारी के साथ एसआईटी के सदस्य व पूर्व एसपी नेगी भुगत रहे हैं.