शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के 6 माह पूरे हो गए हैं. मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के अन्य नेता 6 महीने के कार्यकाल को उपलब्धियों भरा बता रहे हैं. वही विपक्ष 6 महीने के कार्यकाल को पूरी तरह विफल बता रही हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा सुक्खू सरकार अब तक हर मोर्चे पर विफल रही है. इस सरकार के छह महीने सिर्फ नाकामियों के लिए जाने जाएंगे. 10 गारंटियां देकर सत्ता में आई कांग्रेस की सुक्खू सरकार हिमाचल की जनता के हितों को भूल गई है और सिर्फ जनविरोधी फैसले ले रही है. पूरे प्रदेश में इस सरकार को लेकर निराशा है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा आज तक सरकारें देने का काम करती थी, लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का दावा करने वाले लोग पुरानी सुविधाओं को भी छीनने का काम कर रहे हैं. हमारे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लॉकप्रिय के नाम से लोकप्रिय हो रहे है. नेता प्रतिपक्ष ने एक-एक कर सुक्खू सरकार की नाकामियां गिनाई.
एक हजार से ज्यादा कार्यरत संस्थान किए बंद:नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा लॉकप्रिय सुक्खू सरकार ने बदले की भावना से काम करते हुए एक हजार से ज्यादा कार्यरत संस्थानों पर ताला जड़ दिया. इससे लोगों को परेशानी हो रही है, जो काम लोगों का घर के पास हो रहे थे, अब उसके लिए लोगों को घंटों का सफर तय करना पड़ रहा है. सरकारों को बदले की भावना से काम नहीं करना चाहिए. यदि उन्हें बदला लेना है तो हमसे लें. आखिर हिमाचल की लोगों ने उनका क्या बिगाड़ा है. हिमाचल की जनता ने तो उन्हें संख्या बल दिया. उसके बदले सरकार हिमाचल के लोगों के साथ ऐसा बर्ताव कर रही है.
6000 से ज्यादा आउटर्सोस कर्मचारियों को नौकरी से निकाला:नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि लाखों लोगों को नौकरी की गारंटी देकर सत्ता में आई. कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही छह हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. चार-पांच महीनें से आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. छह बोर्डों और निगमों के कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है, वे लोग आंदोलन की धमकी दे रहे हैं. सत्ता के अहंकार मे चूर सरकार को इतना भी समझ नहीं आया कि इन कर्मचारियों के परिवारों का क्या होगा.
6 सीपीएस बनाकर प्रदेश के कोषागार पर बढ़ाया बोझ:नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि आज तक के हिमाचल के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ था कि हिमाचल के लोगों के पर अनावश्यक इतना बोझ डाला गया हो. हिमाचल जैसे छोटे राज्य में 6 सीपीएस बना दिए गए. अभी तो सुनने ऐसा में आ रहा है कि और बनाएंगे. आखिर इनका खर्च कौन उठाएगा?