शिमला: कोविड 19 की वजह से हर एक कारोबार प्रभावित हुआ. उन्हीं में फूलों का कारोबार भी शामिल है. कोरोना के मामलों में गिरावट आने के बाद भी फूलों का कारोबार अभी भी पटरी पर नहीं आ पाया है. शादी समेत किसी भी तरह के आयोजनों के बड़े स्तर पर न होने के कारण फूलों की डिमांड में कमी आई, जिसके कारण फूल कारोबारियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
फूलों की डिमांड में भारी गिरावट
कोरोना से पहले फूलों की डिमांड जिस तरह होती थी उसमें अब 70 फीसदी से ज्यादा कमी आ चुकी है. महज 30 फीसदी ही फूलों का कारोबार रह गया है. पहले शादियों में डेकोरेशन के लिए फूलों की भारी डिमांड रहती थी. अब वो डिमांड बिल्कुल कम हो चुकी है. इसके अलावा सरकारी आयोजनों में भी इस्तेमाल होने वाले फूलों के बुके भी अब ना के बराबर ही लग रहे है, क्योंकि ज्यादातर आयोजन वर्चुअली ही किए जा रहे हैं. इस कारण फूल कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बाहरी राज्यों से लाने पड़ते हैं फूल
शिमला में फूलों की कोई लोकल मंडी नहीं है, जिसकी वजह से बाहरी राज्यों से ही फूल खरीद कर कारोबारियों को लाने पड़ते है. शिमला में फूल के कारोबारी दिल्ली, कोलकाता और अन्य बाहरी जगहों से ही फूल लेकर आते है. बाहरी राज्यों में फूलों की कीमतों में 30 से 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिससे इस कारोबार में मुनाफा कम लेकिन नुकसान ज्यादा हो रहा है. ये कारोबार सिमट कर 30 फ़ीसदी तक रह गया है.
फूलों के इस्तेमाल ना होने से तीन चार दिन बाद फूल मुरझा जाते हैं और उन्हें फेंकना पड़ता हैं. ऐसे में ज्यादा कीमतों में लाए गए इन फूलों के खराब होने से फूल कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. फूल कारोबारियों का कहना है कि कोविड से पहले जहां दिन में 20 से 21 बुके लगते थे. वहीं, अब दिन में इनकी संख्या 2 से 3 हो गई है और कभी कभी एक भी बुके नहीं बिकता है.