शिमला: चैत्र नवरात्र पर प्रदेश के शक्तिपीठों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. नवरात्र के पहले दिन शिमला के विभिन्न मंदिरों में हजारों श्रद्धालु मां के चरणों में नतमस्तक हुए. इसी कड़ी में शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था. इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आकर माता के दर्शन किये.
शैलपुत्री मां की पूजा
मंदिर के पुजारी जयदेव ने बताया कि नवरात्रों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है. उन्होंने बताया कि वैसे तो साल में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीनों में चार बार नवरात्र आती है, लेकिन इनमें चैत्र और आश्विन माह की नवरात्र को प्रमुख माना जाता है. वहीं, अन्य दो गुप्त नवरात्र मानी जाती हैं. उन्होंने बताया कि आज मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां की पूजा का भी विशेष महत्व है. माता शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं. माता के इस स्वरूप की सवारी नंदी हैं. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायें हाथ में कमल का फूल लिये हैं.
कोरोना गाइडलाइन का पालन
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. मंदिर पुजारी ने बताया कि नवरात्राें काे लेकर हमारी तैयारियां पूरी है. बिना मास्क के काेई मंदिर में प्रवेश ना कर पाएगा, इसके अलावा साेशल डिस्टेसिंग का भी सही से पालन करना होगा. मंदिराें में श्रद्धालुओं को चढ़ावा भी नहीं चढ़ाने दिया जा रहा. उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील है कि वह साेशल डिस्टेंसिंग काेराेना नियमाें का पालन करें।मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है. वहीं, श्रद्धालुओं ने कहा कि पिछले साल नवरात्रों में मंदिर में आने की अनुमति नहीं थी, लेकिन इस बार मां की कृपा से हम दर्शन कर पा रहे हैं. कई श्रद्धालुओं ने कहा कि यह साल सबके लिये अच्छा रहे, मां इस कोविड महामारी से हमें निजात दिलाएं, ऐसी हमारी प्रार्थना है.
मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु नवरात्र में ऐसे करें पूजा
नवरात्र में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध जल से स्नान करें. इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं. वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं. वेदी के पास धरती मां का पूजन कर वहां कलश स्थापित करें. इसके बाद सबसे पहले प्रथमपूज्य श्रीगणेश की पूजा करें. फिर वेदी के किनारे पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें. मां दुर्गा की कुमकुम, चावल, पुष्प, इत्र आदि से विधिपूर्वक पूजा करें. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
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