शिमला: कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ भी नहीं भरते. आठ साल पहले शिमला में एक जघन्य अपराध की घटना (Yug murder case of Shimla) हुई थी. शिमला के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे का अपहरण किया गया था. दुखद बात यह थी कि अपहरण करने वाले कोई दूर के नहीं बल्कि पड़ोसी ही थे. बाद में अपहरणकर्ताओं ने मासूम को बेदर्दी से मार डाला था. चार साल पहले वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. बाद में मौत की सजा पर पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट में गया था.
अब लंबे इंतजार के बाद न्याय की घड़ी आई है. हाईकोर्ट (High court on Yug murder case) में इस मामले में 18 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी. इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. अब 18 अप्रैल को इसमें अंतिम सुनवाई तय की गई है. न्याय की इस घड़ी का इंतजार न केवल मासूम के परिजनों को है, बल्कि शहर की जनता भी अदालत के फैसले की प्रतीक्षा कर रही है. यहां इस दर्दनाक और दिल दहला देने वाले जघन्य अपराध के बारे में जानना जरूरी है. ताकि निकट भविष्य में कोई मासूम ऐसे क्रूर अपराधियों का निशाना न बने.
2014 में हुआ था युग का अपहरण:जून 2014 में शिमला के राम बाजार (Ram bazar of shimla) के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. दो साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के भराड़ी पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला था. बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे. बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली थी.
कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे: राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराए के भवन में यातनाएं दी गईं. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पिलाते रहे. यातनाएं देने के साथ-साथ वे दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पड़ोसी होने के बावजूद उनका दिल नहीं पसीजा.
चोरी के मोबाइल से पुलिस को मिला था सुराग: युग उन्हें जानता था और वे चॉकलेट आदि के लालच में उसे अपने साथ ले गए थे. तीनों दरिंदे इतने शातिर थे कि दिन में परिवार के साथ सहानुभूति जताते हुए पुलिस के साथ युग को तलाशने का नाटक करते. वे इतने क्रूर हो गए थे कि उन्होंने युग को बेड बॉक्स में बंधक बनाकर रखा था. जब पुलिस नाकाम होने लगी, तो जनता के दबाव में जांच सीआईडी को दी गई थी. बाद में सीआईडी ने एक मोबाइल चोरी की घटना के सहारे जांच आगे बढ़ाई थी. अपने नशे के शौक को पूरा करने के लिए तीनों दोषी चोरियां भी करते थे.