शिमला: सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के बीच खिंची बयानों की तलवारें हाईकमान के दखल से वापिस म्यान में पहुंच गई है. शुक्रवार को बाकायदा दोनों तरफ से प्रेस नोट जारी किया गया.
हिमाचल के राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की तरफ से जारी बयान में सीयू के रास्ते की सारी अड़चनों का जिक्र किया गया था. वहीं, अनुराग ठाकुर ने ट्वीट कर अपना पक्ष रखा. साथ ही अनुराग ठाकुर की ओर से एक प्रेस बयान आया, जिसके अनुसार उन्होंने सीयू के पैंडिंग मसलों पर तत्परता से एक्शन लेने के लिए सीएम जयराम ठाकुर की तारीफ की.
कुछ दिन पहले एक जनसभा में दोनों नेताओं की तरफ से सीयू मुद्दे पर बयानबाजी हुई थी. उसके बाद मामला गर्म हो गया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का दौर शुरू हुआ. कांग्रेस भी बीच में कूद पड़ी. चिंगारी आगे ब़कर शोला न हो जाए, इसलिए भाजपा हाईकमान ने दोनों पक्षों को नसीहत दी.
हाईकमान के दखल के बाद दोनों पक्ष फिलहाल शांत हैं. अनुराग के ट्वीट और प्रेस बयान से ये जाहिर हो रहा है कि उन्होंने भी स्थिति की गंभीरता को समझ लिया है. गंभीरता यही कि विवाद से डबल इंजन की सरकार की छवि प्रभावित हो रही है, लिहाजा चुप रहने में ही सुख है.
आपसी तल्खी के बाद चर्चाओं का बाजार रहा गर्म
जब से 17 नवंबर को हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की जनसभा में सीयू का मसला दोनों नेताओं की जुबान से निकला, हिमाचल में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. हाईकमान ने इसे सख्ती से लिया. हाईकमान के दखल के बाद हिमाचल सरकार ने लंबा-चौड़ा बयान जारी किया.
सीयू के मामले में सारे तथ्य जाहिर कर हिमाचल सरकार ने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी. सीयू के निर्माण में वन व पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिलने का पेंच फंसा है. ये तकनीकी मामले हैं. हिमाचल सरकार के बयान के बाद तुरंत अनुराग ठाकुर की तरफ से भी ट्वीट और बयान आ गया.
अनुराग ठाकुर ने जताया सीएम जयराम का आभार
अपने बयान में अनुराग ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने सीयू के मुद्दे पर तत्परता से एक्शन लिया है और इसके लिए वे सीएम का आभार जताते हैं. हिमाचल सरकार ने अपने बयान में कहा कि सीयू के लिए दो परिसर बनने हैं. एक जदरांगल में तो दूसरा देहरा में.
राजस्व मंत्री महेंद्र ठाकुर के अनुसार दक्षिणी परिसर देहरा के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 34.55 हेक्टेयर सरकारी भूमि 2010 में ही सीयू के नाम स्थानांतरित कर दी थी. इस जमीन का वर्ष 2010 में इंतकाल भी हो गया था.
इसके अलावा 81.79 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी (यूजर एजेंसी), निदेशक उच्चतर शिक्षा, हिमाचल प्रदेश के नाम वन संरक्षण अधिनियम के तहत परिवर्तित (डाईवर्जन) करने की मंजूरी 11 दिसंबर 2018 को हासिल हुई थी.
इसमें यह शर्त लगाई गई थी कि जिस भूमि को परिवर्तित करने की मंजूरी प्रदान की गई है, वह किसी भी स्थिति में बिना केंद्र सरकार के अनुमोदन से किसी अन्य एजेंसी, विभाग या किसी अन्य के नाम स्थानांतरित नहीं की जा सकती. ऐसी परिवर्तित वन भूमि की विधिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. इस तरह गेंद अब केंद्र के पाले में है.
यही नहीं, हिमाचल सरकार ने तीस ऐसी परियोजनाओं का जिक्र किया है, जिसके लिए वन व पर्यावरण मंत्रालय व संबंधित एजेंसियों की मंजूरी का मामला लटका हुआ है. यहां बता दें कि अनुराग ठाकुर सीयू देहरा को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हैं. कांग्रेस के कार्यकाल में तो इस पर खास प्रगति नहीं हुई, लेकिन अब डबल इंजन की सरकार में इस प्रोजेक्ट में तेजी की आस थी.
अनुराग के लिए महत्वपूर्ण सीयू प्रोजेक्ट
अनुराग ठाकुर के लिए ये प्रोजेक्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह उनके संसदीय क्षेत्र में है. वैसे तो सीयू के निर्माण से हिमाचल को कई लाभ होंगे, परंतु अनुराग के लिए ये सियासी तौर पर अहम है. जिस तरह से इस मसले पर दो दिग्गज आपस में जुबानी जंग में उलझ गए थे, उससे भाजपा मुखिया जेपी नड्डा के लिए भी स्थितियां असहज होनी थी.
इधर, जेपी नड्डा का हिमाचल दौरा है. उससे पहले नड्डा ने अनुराग ठाकुर को ताकीद की कि इस चिंगारी को शोला बनने से पहले ट्वीट और बयान से बुझा दिया जाए. सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार को भी संदेश पहुंचाया गया.
उसके बाद ही राज्य सरकार ने आठ पन्नों का बयान जारी कर सारी स्थिति साफ की और केंद्रीय मंजूरी का तर्क देकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी. अब सीयू पर विवाद तो बेशक थम गया है, लेकिन ये देखना जरूरी है कि ऐसी परियोजनाओं की मंजूरी में अफसरशाही की सुस्ती रोड़ा अटकाती है या फिर नेताओं की अपनी सूटेबिलिटी.
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