शिमला/पांवटा साहिब:लॉकडाउन के दौर में सबसे ज्यादा परेशान अन्नदाता थे. दिन-रात कोरोना के भय के साथ फसलों का इस बार क्या होगा. उनके माथे पर चिंता की लकीरों को साफ देखा जा सकता था,लेकिन अब उनकी मेहनत और सरकार का दिया गया साथ मंडियों में गेहूं को देख क्या किसान और क्या कृषि मंडी अधिकारी सभी को सुकून का अहसास करवाता है.
यही कराण है कि प्रदेश आकड़ों में ज्यादा पीछे नहीं रहेगा. जिसका कोरोना संकटकाल में किसानों को हो रही परेशानी या फिर बारिश,बर्फबारी को देखकर अनुमान लगाया जा रहा था. जानकारी के मुताबिक सरकार ने जो 2019-20 में पुर्वानुमान लगाया है..उसके मुताबिक 670 हजार मीट्रीक टन गेहूं का उत्पादन होने की संभावना है. वहीं, 2018-19 का आंकड़ा कुछ ज्यादा 682.63 हजार मीटीक्र टन था. वहीं, 2017-18 में 598.32 मीट्रीक टन रहा था.
मैदानी इलाकों में ही कटाई
प्रदेश में अभी सिर्फ मैदानी इलाकों ऊना,हमीरपुर,बिलासपुर,कांगड़ा, आदि जगहों पर ही फसल कटाई का काम शुरू हो पाया है. बाकी ठंड वाले इलाकों राजधानी सहित अन्य जगहों पर करीब एक सप्ताह बाद काम फसल कटाई का शुरू होगा,लेकिन सरकार ने किसानों का दर्द समझकर पांवटा, नाहन सहित अन्य जगहों पर गेहूं खरीदना शुरू किया. सिर्फ पांवटा की अगर बात की जाए तो 54 लाख से ज्यादा का गेहूं अभी तक खरीदा जा चुका है. किसान बेफिक्र होकर वापस अपने कामकाज में लग गए हैं.
किसानों ने जताई खुशी
पांवटा के किसानो ने बताया गेहूं के अच्छे दामों के कारण हरियाणा-पंजाब जाना पड़ता था, लेकिन इस बार यही गेहूं बेचा. यहां गेहूं के अच्छे दाम मिले. हम दुसरे किसानों को भी यही पर गेहूं लाकर बेचने को कर रहे हैं. हमारा खर्चा भी ज्यादा नहीं हुआ. किसानों ने चाहे मंडियों की बात हो या फिर खेतों में काम करने की. कोरोना संकट काल में सरकार की तरफ से दी गई रियायत के दौरन सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य सावधानियों का पालन किया.
1925 रुपए समर्थन मूल्य
कृषि उपज मंडी अधिकारी किसानों के मंडी में पहुंचने का अच्छा संकेत मान रहे हैं. मंडी अधिकारियों का कहना है कि किसानों की मदद के लिए नंबर जारी किए गए है, ताकि उन्हें कोई गुमराह नहीं कर सके. किसानों की उपज का पैसा समय पर दिया जा रहा है. गेहूं 1925 रुपए समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है.पहले यह 1840 में ली जा रही थी.
कृषि पर निर्भरता
कृषि प्रदेश के लोगों का मुख्य व्यवसाय हैं.प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. हिमाचल प्रदेश देश का अकेला ऐसा राज्य है जिसकी 2011 की जनगणना के अनुसार 89.96 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. इसलिए कृषि और बागवानी पर प्रदेश के लोगों की निर्भरता अधिक है कृषि से राज्य की कुल कामगारों में से लगभग 69 प्रतिशत को रोजगार उपलब्ध होता है. कृषि राज्य आय का मुख्य स्रोत है. राज्य घरेलू उत्पाद का लगभग 13% कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों से प्राप्त होता है. प्रदेश में कुल 55.67 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 9.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र 9.61लाख किसानों द्वारा जोता जाता है.