शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में नियमों के बाहर जा कर फर्जी तरीके से छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है. प्रवेश के लिए एचपीयू प्रशासन एचपीयू के ऑर्डिनेंस के साथ ही यूजीसी के नियमों तक को नजरअंदाज कर रहा है. एचपीयू रिसर्च स्कॉलर इकाई ने इस बात का खुलासा किया है कि एचपीयू एमसीए विभाग में ही अकेले पांच पीएचडी की डिग्रियां फर्जी तरीके से करवाई जा रही हैं.
इस मामले में एचपीयू के डीएस प्रो.अरविंद कालिया पर आरोप है कि जिन पांच छात्रों की एमसीए डिपार्टमेंट में पीएचडी में प्रवेश मिला है वो उन्हीं के अंडर पीएचडी कर रहे हैं. छात्र इकाई का आरोप है कि उन्होंने पहले भी एचपीयू प्रशासन के समक्ष वाणिज्य विभाग में एचपीयू के पूर्व कुलपति के बेटे कर्ण गुप्ता को दर्शन निष्पात में फर्जी प्रवेश दे कर उसकी पीएचडी की थीसिस 11 महीने में जमा करवा दी गई, जबकी एचपीयू के ऑर्डिनेंस 16.13(a), के मुताबिक पीएचडी की न्यूनतम अवधि तीन वर्ष होनी चाहिए, लेकिन ऑर्डिनेंस को दरकिनार कर प्रवेश दिया गया. उन्होंने विवि के अधिष्ठाता अध्ययन अरविंद कालिया पर भी नियमों को ताक पर रख कर अपने चहेते को पीएचडी में प्रवेश देने के आरोप लगाए.
रिसर्च स्कॉलर इकाई के सचिव नोवल ठाकुर ने कहा कि शिक्षकों के पीएचडी में प्रवेश के लिए नियम तय हैं और पीएचडी की शिक्षकों के लिए निर्धारित सीट पर प्रवेश के लिए पहले उसे विज्ञापित किया जाता है, लेकिन एचपीयू ने ऐसा नहीं किया. डीएस ने एक निजी महाविद्यालय में पढ़ा रही एक शिक्षिका को एमसीए विभाग में पीएचडी में प्रवेश दिया और इसी तरह का एक और मामला जिसमें एक अन्य निजी कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक को पोस्ट प्रैक्टिस के आधार पर एमसीए विभाग पीएचडी में पीएचडी में प्रवेश दिया.