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वीरेंद्र सहवाग ने जुगाड़ तंत्र से बचाया टैक्स, वीवीआईपी की टैक्स चोरी से हिमाचल के माथे पर लग रहा कलंक

कांग्रेस के विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इस मामले पर सरकार के घेरा है. दरअसल, हिमाचल के सीमांत इलाकों में ये धंधा लंबे समय से चल रहा है. पंजाब व हरियाणा सहित दिल्ली के धन्ना सेठ महंगी गाड़ियां खरीद कर उनकी रजिस्ट्रेशन हिमाचल में करवाते हैं. इसका कारण ये है कि हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण शुल्क अन्य राज्यों के मुकाबले कम है.

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फोटो.

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Published : Apr 17, 2021, 10:02 PM IST

शिमलाः हिमाचल में यूं तो लंबे समय से वीवीआईपी आलीशान गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन करवा कर टैक्स बचा रहे हैं, लेकिन वीरेंद्र सहवाग से जुड़े ताजा मामले के बाद ये मसला राजनीतिक तौर पर सुलग गया है.

हिमाचल में पंजीकरण शुल्क अन्य राज्यों के मुकाबले कम

कांग्रेस के विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इस मामले पर सरकार के घेरा है. दरअसल, हिमाचल के सीमांत इलाकों में ये धंधा लंबे समय से चल रहा है. पंजाब व हरियाणा सहित दिल्ली के धन्ना सेठ महंगी गाड़ियां खरीद कर उनकी रजिस्ट्रेशन हिमाचल में करवाते हैं. इसका कारण ये है कि हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण शुल्क अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. इससे हिमाचल के परिवहन विभाग को टैक्स के रूप में बेशक कुछ आय हो जाए, लेकिन पिछले दरवाजे से होने वाली ये कवायद टैक्स चोरी की ही समझी जाएगी. ऐसे में वीवीआईपी की टैक्स चोरी का कलंक तो जरूर हिमाचल के माथे पर लगता है. हालांकि इस तरीके से करवाया गया पंजीकरण फर्जी नहीं कहा जा सकता.

टैक्स चोरी की राह तलाशते हैं अमीरजादे

अमीरजादे महंगी गाड़ियां तो खरीद लेते हैं, परंतु टैक्स चोरी की राह भी साथ ही तलाश लेते हैं. इस तरह के जुगाड़ तंत्र से हिमाचल को तो टैक्स के तौर पर कुछ आय हो जाती है, परंतु जिस राज्य में गाड़ी खरीदी गई होती है, वहां की सरकार के संबंधित विभाग को टैक्स के रूप में नुकसान होता है. कुछ साल पहले तो हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण शुल्क काफी कम था. फिर उत्तर भारत के राज्यों के अफसरों की बैठक हुई और ये तय किया गया कि हिमाचल भी पंजीकरण शुल्क बढ़ाए. इससे ये लाभ हुआ कि अपेक्षाकृत कम पैसे बचने से कई धन्नासेठ दौड़-धूप से बचने के लिए उसी जगह पंजीकरण करवाने लगे, जहां गाड़ी खरीदी गई हो.

वीरेंद्र सहवाग से कैसे जुड़े मामले के तार

जहां तक वीरेंद्र सहवाग का मामला है तो उन्होंने नूरपुर में पंजीकरण करवाया है. नूरपुर भी सीमांत उपमंडल है. पहले ऐसे अधिकतर मामले इंदौरा उपमंडल में देखने को मिलते थे. वहीं, वीरेंद्र सहवाग ने कांगड़ा जिला के उपमंडल नूरपुर में गाड़ी का पंजीकरण करवाया है. गाड़ी की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए प्रूफ ऑफ रेजीडेंस जरूरी है. इसमें रेंट का प्रूफ भी साथ लगाना होता है. वीरेंद्र सहवाग ने जहां से गाड़ी खरीदी, वहां के महंगे पंजीकरण शुल्क से बचने के लिए हिमाचल में पंजीकरण करवाया. इसके लिए शिमला के एक शिक्षण संस्थान से जुड़ा प्रूफ दिया गया. वैसे ये फर्जी की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन नैतिकता के मापदंड देखें तो कुछ लाख रुपए बचाने के लिए ऐसा काम गलत ही कहा जाएगा. सहवाग की गाड़ी का नंबर एचपी-38-8988 है.

पिछले साल फरवरी में पंजीकृत करवाई गई गाड़ी

ये भी जांच का विषय है कि धन्नासेठ जो एग्रीमेंट और प्रूफ पंजीकरण के समय जमा करते हैं, उनका फॉलोअप किया गया है या नहीं. वीरेंद्र सहवाग ने डेढ़ करोड़ की गाड़ी तो खरीद ली, लेकिन पंजीकरण करवाने के लिए वे हिमाचल चले आए. गाड़ी पिछले साल फरवरी में पंजीकृत करवाई गई.

नेता प्रतिपक्ष ने सोशल मीडिया पर उठाया मुद्दा

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपने फेसबुक पेज पर बाकायदा कई गाड़ियों की तस्वीर लगाई है. इनमें मर्सीडीज से लेकर रेंज रोवर और जगुआर तक शामिल हैं. इनकी कीमत करोड़ों में है.अधिकतर वाहन इंदौरा व नूरपुर में पंजीकृत हैं. कांगड़ा जिला में अधिकतर केस इसलिए हैं कि वो सीमांत जिला है. पहले पंजीकरण शुल्क तीन फीसदी था. मुकेश अग्निहोत्री ने तो इस पंजीकरण घपले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग उठाई.

पांच हजार से अधिक बताई जा रही है ऐसी गाड़ियों की संख्या

ऐसी गाड़ियों की संख्या पांच हजार से अधिक बताई जा रही है. दलालों की भी इसमें भूमिका है. दलालों के माध्यम से ही ऐसे काम होते हैं. मुकेश अग्निहोत्री ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में अनेक गाड़ियों की फोटो लगाई है और उनमें नंबर प्लेट भी साफ दिखाई दे रही है. नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि हिमाचल के खजाने को भी जीएसटी के रूप में चूना लगाया गया है. उन्होंने पूरे मामले की विस्तृत जांच की मांग उठाई है.

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