शिमला:प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में अवैध तरीके से हो रही खनन गतिविधियों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार सख्त हो गई है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की घोषणा के बाद अब प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में 10 स्थानों पर चेक पोस्ट स्थापित किए जाएंगे. इनमें सबसे अधिक चेक पोस्ट गुना जिला में लगाए जाएंगे. जहां से लगातार अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं.
उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने कहा कि बहुत जल्द चेक पोस्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी और प्रदेश में अवैध तरीके से हो रही खनन गतिविधियों पर विराम लग जाएगा. उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट रेता और बजरी के दामों को नियंत्रित करने की दिशा में भी प्रदेश सरकार कदम उठा रही है. विभाग कानूनी पहलुओं पर अध्ययन कर रहा है और अगर जरूरत पड़ी तो मामले पर विधानसभा में भी प्रस्ताव लाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अनेक स्थानों पर सीमेंट बनता है और इसका कच्चा माल भी प्रदेश में ही उपलब्ध है. ऐसे में प्रदेशवासियों को सस्ता सीमेंट मिलना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही विभाग मामले का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपेगा. जिसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
विक्रम सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान भी प्रदेश का फार्मा उद्योग क्रियाशील रहा है यहां निर्मित दवाइयां दूसरे देशों को भी निर्यात की गई है विपत्ति की घड़ी को अवसर में तब्दील करने के प्रयास किए जारहे हैं देश के अन्य राज्य कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और हिमाचल की स्थिति इनकी अपेक्षा कहीं बेहतर है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने उद्योगपतियों को राज्य में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से धर्मशाला में 7 और 8 नवंबर को ग्लोबल इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया था जिसमें 96721 करोड़ रुपए के 703 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए थे.
इस मीट के 2 महीने के बाद 311.75 करोड़ रुपए के 204 समझौता ज्ञापन का ग्राउंटब्रेकिंग समारोह भी आयोजित किया था. प्रदेश में व्यापार को और आसान बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि बैंक स्थापित कर 600 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध करवाई जा चुकी है, जबकि 1308 केयर भूमि की ट्रांसफर प्रक्रिया जारी है.
विक्रम सिंह ने कहा कि जिन व्यापारियों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. अधिकारी लगातार उनसे संपर्क बनाए रखें, ताकि परियोजनाओं को जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जा सके. उन्होंने कहा कि वेबीनार के माध्यम से संभावित निवेशकों और उद्योग संघों से निरंतर संपर्क किया जाए, ताकि प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहन मिल सके.
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत विभिन्न बैंकों के माध्यम से 25 लाख रुपए तक के ऋण प्रदान किए जा रहे हैं और इसके अंतर्गत परियोजना लागत की 35 प्रतिशत तक सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 1181 पर योजनाओं के लक्ष्य के मुकाबले 1214 लाभार्थियों को गैर कृषक आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए इन्हें विद प्रबंधित किया गया.
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत सूक्ष्म लघु मध्यम इकाइयों को वित्तीय लाभ देने के लिए 12 सौ करोड़ रुपए वितरित किए गए. मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के अंतर्गत 140 करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्रदेश में 728 इकाइयां स्थापित की गई.
उन्होंने परियोजना की धीमी रफ्तार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस परियोजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की एक टीम नामित की जानी चाहिए, ताकि अधिकतम युवा इससे लाभान्वित हो सकें उन्होंने कहा कि स्टार्टअप हिमाचल योजना के अंतर्गत 92 नए उद्यमी लाभान्वित हुए हैं और 29 स्टार्टअप का व्यवसायीकरण किया गया है.
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