शिमला/कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश की मशहूर कांगड़ा चाय को यूरोपियन यूनियन ने जीआई टैग दिया है. गौरतलब है कि कांगड़ा टी को साल 2005 में भारतीय जीआई टैग मिला था. और अब यूरोपियन यूनियन द्वारा कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिलना बड़ी उपलब्धि है. भारत में यूरोपियन यूनियन के डेलिगेशन ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस बात की जानकारी दी गई है.
कांगड़ा टी का स्वाद- कांगड़ा की चाय अपनी गुणवत्ता और महक के लिए जानी जाती है. इसका उत्पादन कांगड़ा जिले में होता है. कांगड़ा चाय के ज्यादातर बागान पालमपुर में हैं, जो एक बड़ी आबादी को रोजगार और हिमाचल को विश्व मानचित्र पर पहचान दिला रहे हैं. कांगड़ा चाय की ब्लैक टी और ग्रीन टी दो किस्में हैं. कांगड़ा चाय के उत्पादन से लेकर प्रमोशन और इससे जुड़े तमाम समस्याओं पर विचार करने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट टी डेवलपमेंट बोर्ड है. जिसके चेयरमैन हिमाचल के मुख्यमंत्री और वाइस चेयरमैन कृषि मंत्री होते है.
अंग्रेजों की देन है कांगड़ा चाय- देश दुनिया के करोड़ों लोगों के दिन की सुबह एक प्याली चाय के साथ होती है. भारत में चाय का उत्पादन होता रहा है लेकिन इसको व्यावसायिक स्तर पर ले जाने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है. 18वीं शताब्दी में कांगड़ा के मौसम को चाय के लिए बहुत ही मुफीद पाया. जिसके बाद कांगड़ा की घाटी चाय की खुशबू से महकने लगी और यहां उगने वाली चाय भी असम, दार्जिलिंग की तरह उत्पादन की जगह के नाम से पहचानी जाने लगी. आज इसे दुनिया कांगड़ा टी के नाम से जानती है.