शिमला:हिमाचलप्रदेश सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राम सुभग सिंह को मुख्यमंत्री का प्रधान सलाहकार नियुक्त किया है. वह ऊर्जा क्षेत्र पर मुख्यमंत्री को सलाह देंगे. सरकार के इस फैसले पर कर्मचारियों में रोष पनप गया है. कर्मचारी राम सुभग सिंह को बिजली बोर्ड का चेयरमैन बनाने का पहले विरोध कर रहे थे, लेकिन अब सरकार ने रिटायरमेंट के बाद उनको ऊर्जा क्षेत्र का सलाहकार तैनात कर कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ा दी है.
कर्मचारियों सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और सरकार से इस फैसले पर दोबारा से विचार करने को कहा है. इसके साथ ही कर्मचारियों ने 10 अगस्त को पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन करना का ऐलान कर दिया है. कर्मचारियों ने साफ कहा है कि अगर सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार नहीं करती तो आंदोलन उग्र किया जाएगा.
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन ने कहा भारी विरोध के बावजूद बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राम सुभग सिंह को सेवा विस्तार देकर ऊर्जा क्षेत्र का मुख्य सलाहकार बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है. यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर दत्त शर्मा ने कहा वर्तमान प्रदेश सरकार से कर्मचारियों को बहुत ज्यादा अपेक्षाएं हैं, लेकिन एक के बाद एक लिए जा रहे ऐसे फैसलों से बिजली कर्मचारियों की भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने कहा जहां बिजली बोर्ड में अभी तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो पाई है. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में ₹3000 करोड़ रुपये की स्मार्ट मीटरिंग कर प्रदेश की जनता व बिजली बोर्ड के ऊपर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है.
यूनियन के अध्यक्ष कामेश्वर दत शर्मा और महासचिव हीरा लाल वर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के पास गलत आंकड़े पेश कर बिजली बोर्ड को तहस नहस करने की साजिश रची जा रही है. एक सोची समझी साजिश के तहत बिजली बोर्ड से परियोजना, संचार व उत्पादन विंगों को अलग किया जा रहा हैं. जिसका सीधा-सीधा असर प्रदेश के बिजली कर्मचारी, पेंशनर व बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. जहां कर्मचारियों व पेंशनर की सामाजिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी, वहीं प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली खपत की अदायगी महंगी दरों से करनी पड़ेगी.