शिमला: राजधानी शिमला के बिजली विभाग के कर्मचारियों ने नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स (National Coordination Committee of electricity employees and engineers) के आह्वान पर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन किया. यह कर्मचारी केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2021 (Electricity Amendment Bill 2021) के खिलाफ लामबंद हुए हैं.
समन्वय कमेटी के महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित बिल के जरिए निजी क्षेत्रों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में भी इस बिल को लाने की तैयारी हो रही है. ऐसे में समन्वय कमेटी इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर इस बिल को हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में देखा जाए, तो इससे औद्योगिक क्षेत्र में निजी क्षेत्रों को बड़ा फायदा मिलेगा और बिजली विभाग के कर्मचारियों को नुकसान होगा.
हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने की मंशा समन्वय कमेटी कभी पूरी नहीं होने देगी. महासचिव हीरालाल वर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से इस बिल के जरिए रोजगार को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि निजी बिजली विभाग के निजी हाथों में जाने से न केवल रोजगार पर असर पड़ेगा बल्कि बिजली विभाग का राजस्व भी घट जाएगा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस बिल को संसद में पेश न किया जाए. वर्मा ने कहा कि आरोप लगाया कि विद्युत अधिनियम 2003 ने उत्पादन के निजीकरण की अनुमति दी और अब प्रस्तावित विधेयक में बिजली वितरण का निजीकरण किया जा रहा है. इससे राज्य की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) दिवालिया हो जाएगी.