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कोरोना ने थामी अर्थव्यवस्था की रफ्तार, अब कैसे बहेगी विकास की बयार ?

कोरोना संक्रमण के दौर में दुनियाभर की आर्थिकी पर बुरा असर डाला है. कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने आर्थिक विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. करीब 2 महीने तक लॉकडाउन के कारण जो आर्थिक नुकसान देश औऱ दुनिया को हुआ है उसकी भरपाई के लिए सरकारें राह तलाश रही हैं ताकि अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके.

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कोरोना संक्रमण

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Published : Jun 9, 2020, 6:55 PM IST

शिमला: कोरोना संक्रमण के दौर में दुनियाभर की आर्थिकी पर बुरा असर डाला है. अमेरिका से लेकर यूरोप के विकसित देश हों या भारत और अन्य एशियाई विकासशील देश. कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने आर्थिक विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. कोरोना संक्रमण का असर हर शेयर बाजार से लेकर तेल की कीमतों समेत हर छोटे बड़े कारोबार पर पड़ा है. करीब 2 महीने तक लॉकडाउन के कारण जो आर्थिक नुकसान देश औऱ दुनिया को हुआ है उसकी भरपाई के लिए सरकारें राह तलाश रही हैं ताकि अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके.

हिमाचल सरकार की तैयारी

कोरोना संकट के चलते करीब 2 महीने तक देशभर में लॉकडाउन और हिमाचल में कर्फ्यू लगा रहा. ऐसे में लोग घर की चारदीवारी में कैद रहे और हर दुकान, कारोबार पर ताला लटका रहा. जिसके चलते हर आम और खास के साथ प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था का डिरेल होना लाजमी था. कई उद्योगों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है जिसके चलते उनके भविष्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

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जिसका सीधा असर प्रदेश और देश के विकास पर पड़ेगा. कोरोना संक्रमण के चलते पैदा हुए इस आर्थिक संकट से पार पाने के लिए हिमाचल सरकार ने एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया है जो प्रदेश को आर्थिक संकट से निकालने के उपाय तलाशेगी.

विभागों में मिला 12 हजार करोड़

इस कैबिनेट सब कमेटी ने विभिन्न विभागों में अब तक खर्च ना हो पाए पैसे का ब्यौरा इकट्ठा किया. पता चला कि विभिन्न विभागों में कभी ना खर्च हुई ये कुल रकम 12 हजार करोड़ रुपये थी. ये 12 हजार करोड़ रुपये इन विभिन्न विभागों में करीब एक दशक से यूं ही बेकार पड़ा था. अब इसी रकम का इस्तेमाल प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा. विभिन्न जिलों में विकास कार्यों के लिए एक प्रक्रिया के तहत इस राशि में से खर्च किया जाएगा.

कई विभागों ने खर्च नहीं किया

कैबिनेट सब कमेटी ने जब खर्च ना किए गए बजट का ब्यौरा मांगा तो पता चला कि लोकनिर्माण विभाग, ऊर्जा विभाग, जलशक्ति विभाग, पंचायती राज, परिवहन समेत कई विभाग करोडों रुपये खर्च नहीं कर पाए. विभागों के अलावा नाबार्ड से लेकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी परियोजनाओं का पैसा भी शामिल है. कैबिनेट मंत्री गोबिंद ठाकुर ने बताया कि विभागों में खर्च नहीं हो पाया ये पैसा अब विकास कार्यों के लिए खर्च किया जाएगा.

सबसे ज्यादा 6500 करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग के पास मिले जो खर्च नहीं हो पाए थे. इसी तरह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास 250 करोड़, सीवरेज की विभिन्न योजनाओं के 250 करोड़ समेत अन्य विभागों और योजनाओं से जुड़ा करोड़ों रुपये मिले जो बीते कई सालों से खर्च नहीं हुए थे. इस तरह करीब 12 हजार करोड़ रुपये विभिन्न विभागों से मिले जिसे खर्च करने के लिए हिमाचल सरकार ने मैकेनिज्म तैयार करने की तरफ कदम बढ़ाया है

हिमाचल की आर्थिक सेहत का गुणा-भाग

वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 49,131 करोड़ का बजट पेश किया था. आर्थिक मामलों के जानकार प्रदीप चौहान के मुताबिक टैक्स रेवेन्यू, नॉन टैक्स रेवेन्यू और आर्थिक मदद के इर्द गिर्द ही किसी प्रदेश की आर्थिकी का खाका बुना जाता है. इस लिहाज से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय करों से 6,265 करोड़ और राज्य से 9,000 करोड़ के टैक्स कलेक्शन का अनुमान था. इसी तरह नॉन टैक्स रेवेन्यू 2400 करोड़ अनुमान रखा गया था. साथ ही हिमाचल को केंद्र से 20,672 करोड़ सहायता के रूप में मिलेंगे. इस तरह से टैक्स रेवेन्यू, नॉन टैक्स रेवेन्यू और आर्थिक मदद को जोड़ा जाए तो इस साल कुल राजस्व प्राप्तियों का अनुमान 38,438 करोड़ रुपये था.

प्रदीप चौहान की मानें तो कोरोना संक्रमण के दौरान हिमाचल को टैक्स रेवेन्यू के मोर्चे पर 500 से 600 करोड़ का नुकसान हुआ है. एक तरह से कहें तो कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन में करीब 2 महीने तक सरकार के खजाने में कुछ नहीं आया. नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही खत्म होने वाली है और इसमें हुए नुकसान की भरपाई अगली तिमाही में करने की कोशिश की जाएगी ताकि अनुमानित बजट के साथ ताल मिलाकर प्रदेश को विकास की राह पर लाया जा सके.

सरकार को क्या करना चाहिए ?

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद के मुताबिक कोरोना संक्रमण के दौर में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को छोड़ दें तो हर क्षेत्र की वित्तीय हालत खराब हुई है. हिमाचल में किसान-बागवान से लेकर पर्यटन कारोबारियों की हालत किसी से छिपी नहीं है ऐसे में सरकार को कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे. राजीव सूद की मानें तो गरीबों के लिए एनजीओ या सरकार सोच रही है लेकिन मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास की कोई सुध नहीं ले रहा. ये ऐसा वर्ग है जिसे सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है. इस वर्ग को वित्तीय मदद से ज्यादा प्रोत्साहन की जरूरत है जिससे कि वो बेहतर कर सके.

सरकार को लाइसेंस जैसे तमाम जरूरी चीजों के नियम कायदों में ढील देनी होगी जिससे कि मिडिल क्लास से लेकर छोटे-मोटे उद्योग धंधे चलाने वाले आत्मनिर्भर हो सकें और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बना सकें. राजीव सूद के मुताबिक दूसरे राज्यों से आए लाखों लोगों को भी रोजगार दिलाना भी सरकार के सामने चुनौती है ऐसे में अन्प्रडक्टिव संसाधनों को प्रोडक्टिव बनाना होगा ताकि वो रोजगार पैदा कर सके. चाहे किसी भी सेक्टर की बात हो सरकार को उदार बनना होगा, सरकार को ढील देनी होगी.

20 लाख करोड़ के केंद्रीय पैकेज से आस

कोरोना संकट के दौरान देशभर की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हुआ है. जिसे देखते हुए पिछले दिनों केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के केंद्रीय पैकेज की घोषणा की थी. जिसके तहत कृषि से लेकर बड़े उद्योग और MSME सेक्टर से लेकर मजदूरों तक के विभिन्न क्षेत्रों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान हुआ. EMI में राहत से लेकर विभिन्न वर्गों के लिए सस्ते लोन तक का इंतजाम इस पैकेज के तहत किया गया. इस 20 लाख करोड़ के केंद्रीय पैकेज से हिमाचल के कई क्षेत्रों ने राहत की उम्मीद लगा रखी है.

हिमाचल की आर्थिकी मुख्य रूप से पर्यटन, बागवानी, उर्जा जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है और लॉकडाउन के करीब 2 महीनों के दौरान पर्यटन और बागवानी क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है. खासकर पर्यटन सीजन लॉकडाउन की भेंट चढ़ने से पर्यटन कारोबारियों को बहुत नुकसान हुआ है. कोरोना संक्रमण का ये असर पर्यटन समेत कई कारोबारों पर आने वाले कुछ वक्त तक और रहेगा. ऐसे में केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक से प्रदेश के हर तबके ने उम्मीद लगाई है.

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