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2022 तक सभी शिक्षण संस्थानों को लेनी होगी नैक से मान्यता, एमएचआरडी ने तय किया है लक्ष्य

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से 2022 तक सभी शिक्षण संस्थानों को मान्यता लेनी होगी. यह लक्ष्य केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने तय किया है. प्रक्रिया को पूरा नही करने वाले शिक्षण संस्थानों को एमएचआरडी, यूजीसी़, रूसा की योजनाओं का लाभ नही मिल पाएगा.

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Published : Jul 7, 2019, 6:32 AM IST

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शिमलाः प्रदेश के सभी कॉलेज व विश्वविद्यालयों को 2022 तक राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मान्यता लेने की प्रक्रिया को पूरा करना होगा. यह लक्ष्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से तय किया गया है. इस तय लक्ष्य के तहत देश भर के सभी विश्वविद्यालयों के साथ ही कॉलेजों को 2022 तक नैक से मान्यता दिलवाना जरूरी किया गया.
प्रक्रिया को पूरा करने वाले शिक्षण संस्थानों को ही एमएचआरडी की योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. जो संस्थान इस तय समय अवधि के बीच में मान्यता की प्रक्रिया पूरी नहीं करेंगे. उन्हें किसी तरह की योजना लाभ नहीं मिलेगा और ना ही उन्हें ग्रांट जारी की जाएगी.

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नैक के निर्देशों के तहत प्रदेश शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों के साथ ही कॉलेजों का यह अधिसूचना जारी कर दी है कि नैक से मान्यता लेने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. प्रदेश में नैक से मान्यता प्राप्त कॉलेजों की संख्या का आंकड़ा अभी तक 37 ही हैं. इसके अलावा 15 कॉलेज ऐसे है जो मापदंड तो पूरा कर रहे है लेकिन इन्होंने किसी न किसी कारण के चलते नैक से मान्यता कॉलेजों नहीं ली है.

वहीं, 63 कॉलेज तो प्रदेश में अभी ऐसे है जो नैक से मान्यता के लिए तैयार ही नहीं है. इन कॉलेजों के पास ना तो अपना इंफ्रास्ट्रक्चर है और ना ही इन्हें स्थापित हुए 5 साल का समय पूरा हुआ है. ऐसे में नैक से मान्यता के न्यूनतम मापदंड ही यह कॉलेज पूरा ही नहीं कर पा रहे है. इन कॉलेजों में से भी जो कॉलेज 2022 तक नैक से मान्यता लेने के लिए तैयार हो जाते है, उन्हें भी नैक से निरीक्षण करवाना होगा. शिक्षा विभाग के निर्देशक डॉ.अमरजीत शर्मा ने निर्देश जारी किए है कि कॉलेज नैक मान्यता की प्रक्रिया पूरी कर ले जिससे कि उन्हें ग्रांट प्राप्त हो सके.

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बता दें, कि अगर 2022 तक प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में नैक से एक्रीडिटेशन नहीं ली तो वह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से मिलने वाली ग्रांट के साथ ही राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा)के तहत मिलने वाली ग्रांट से भी वंचित रहेंगे. ऐसे संस्थानों को विकास कार्यों के लिए कोई भी ग्रांट प्राप्त नहीं होगी.

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