शिमला: साल 1905 में भयावह भूकंप झेल चुके हिमाचल प्रदेश के लिए प्राकृतिक आपदा को लेकर स्थितियां गंभीर हैं. हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से संवेदनशील पांचवें जोन में आता है. हाल ही में 3 अक्टूबर को नेपाल सहित, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व भारत के कई शहरों में भूकंप के झटके आए थे. हिमाचल भी इससे अछूता नहीं था. हिमाचल में हर साल औसतन 20 से 30 भूकंप आते हैं. कुछ लघु यानी छोटे झटकों को भी शामिल करें तो ये संख्या और बढ़ जाती है.
हिमाचल पर भूकंप की तलवार:उदाहरण के लिए साल 2022 में हिमाचल में छोटे व मध्यम तीव्रता वाले 53 भूकंप आए थे. हालांकि बीते बरसों में भूकंप से जान-माल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन खतरे की तलवार निरंतर लटक रही है. इस प्राकृतिक आपदा को लेकर हाईकोर्ट व कैग ने भी कई बार चेतावनियां जारी की हैं. कैग की साल 2017 की रिपोर्ट में दर्ज है कि ढलान पर बने शिमला के मकान भूकंप आने पर तबाही का मंजर पेश करेंगे. हिमाचल हाईकोर्ट ने भी समय-समय पर अंधाधुंध निर्माण से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई पर राज्य सरकार को भूकंप के खतरे को लेकर चेताया है. गुरुवार को शिमला में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आपदाओं पर मंथन को लेकर आयोजित वर्कशाप में इस खतरे पर चर्चा की है.
कैग ने क्यों दिया न्यूजीलैंड का उदाहरण: शिमला के उपनगर चक्कर, संजौली, सिमेट्री, विकासनगर आदि में कई जगह अनियोजित निर्माण हुआ है. अधिकांश मकान ढलान पर बने हुए हैं. कैग ने इसी बात पर चेताया है. कैग की 2017 की रिपोर्ट में तत्कालीन प्रधान लेखाकार आरएम जोहरी ने कहा था कि यदि हिमाचल में बड़ी तीव्रता का भूकंप आता है तो भारी तबाही होगी. आरएम जोहरी ने कहा था कि हैती में आए भूकंप में हजारों लोग इसलिए मौत का शिकार हुए हैं, क्योंकि वहां बेतरतीब निर्माण हुआ था. वहीं, न्यूजीलैंड में ढलान पर इस तरह का निर्माण नहीं था, लिहाजा वहां हैती जितनी तीव्रता का भूकंप आने के बावजूद अधिक तबाही नहीं हुई थी. हिमाचल को भी इसी तरह के नियोजित निर्माणों की जरूरत है.
हाईकोर्ट दे चुका है कई बार चेतावनी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इसी साल 12 फरवरी को राज्य सरकार को सोलन के समीप अंधाधुंध निर्माण पर चेताया था. हिमाचल हाईकोर्ट धर्मशाला, शिमला आदि में भी ऐसे ही निर्माण को लेकर सख्ती दिखा चुका है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वो कौन सी अथॉरिटी है, जो इस तरह के निर्माण की अनुमति देती है. पहाड़ियों को काट कर बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं. भूकंप आने पर इस तरह के निर्माण नुकसान और तबाही को बढ़ाते हैं. इससे पहले हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2022 को एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अदालत भूकंप के लिहाज से संवेदनशील धर्मशाला में ऐसे निर्माण की अनुमति नहीं दे सकती. इसी तरह साल 2018 में भी हिमाचल हाईकोर्ट तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने धर्मशाला में अवैध निर्माण को लेकर हिमाचल सरकार को सख्त शब्दों में फटकार लगाई थी. अदालत ने टिप्पणी की थी कि क्या सरकार नींद में सोई हुई है, जो धर्मशाला में ऐसे निर्माण हो रहे हैं?
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हिमाचल में भूकंप: उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू व किन्नौर संवेदनशील जोन नंबर पांच के तहत आते हैं. अपेक्षाकृत तीव्र झटकों के लिहाज से देखें तो हिमाचल में सालाना 20 से 50 के बीच भूकंप आते हैं. सुखद तथ्य ये है कि इन भूकंपों की तीव्रता बहुत अधिक नहीं रही है. अध्ययन बताता है कि हिमाचल में सर्दियों के समय में अधिक भूकंप आते हैं. जनवरी से मार्च की अवधि संवेदनशील है. नए साल यानी वर्ष 2023 की शुरुआत में 14 जनवरी को धर्मशाला में भूकंप आया था. वर्ष 2021 में भी चंबा में जनवरी में ही धरती हिली थी. चंबा जिले में 6 जनवरी को 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. फिर वर्ष 2021 में ही जनवरी महीने में एक रात में मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार कंपन हुआ. फिर 2021 में फरवरी महीने में 13 तारीख को शिमला में भूकंप आया था.