शिमला:हिमाचल में अगले साल से पूर्णतः ई-स्टाम्प प्रणाली से स्टाम्प पेपर की बिक्री सुनिश्चित की जाएगी. राज्य के अधिकृत स्टाम्प विक्रेताओं को एक वर्ष में भौतिक ई-स्टाम्प पेपर से ई-स्टाम्प प्रणाली अपनाने की समय सीमा तय की गई है. ई-स्टाम्पिंग प्रणाली को पूर्ण रूप से अपनाने से राज्य के राजस्व में भौतिक स्टाम्प पेपरों की छपाई पर हो रहे 30 से 50 करोड़ रुपए की भी बचत होगी.
31 मार्च 2024 तक का दिया गया समय:मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने भौतिक स्टाम्प पेपरों की छपाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने और ई-मोड के माध्यम से ही स्टाम्प ड्यूटी एकत्रित करने का निर्णय लिया है. एक वर्ष की इस अवधि के दौरान फिलहाल दोनों प्रणालियां चलन में रहेंगी. पहले से छपे स्टाम्प पेपर का उपयोग करने के लिए विक्रेताओं को 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च, 2024 तक एक वर्ष का समय दिया गया है. इसके बाद पूर्ण रूप से केवल ई-स्टाम्प का ही इस्तेमाल किया जाएगा. प्रदेश सरकार द्वारा ई-स्टाम्प पेपर के लिए स्टाम्प विक्रेताओं को अधिकृत एकत्रीकरण केन्द्रों के रूप में अधिकृत किया जाएगा.
स्टाम्प वेंडर लाभान्वित होंगे:मुख्यमंत्री ने कहा है कि उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल) के पोर्टल पर ई-स्टाम्प तैयार किए जा सकेंगे. स्टाम्प विक्रेता को न्यूनतम कमीशन अदा कर इस पोर्टल के माध्यम से ई-स्टाम्प तैयार करने के लिए अधिकृत किया जाएगा. वर्तमान में स्टाम्प विक्रेताओं के लिए स्टाम्प पेपर विक्रय की अधिकतम सीमा 20,000 रुपए प्रति दिन है और ई-स्टाम्प प्रणाली अपनाने से यह सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपए प्रतिदिन हो जाएगी, जिससे स्टाम्प वेंडर भी लाभान्वित होंगे.मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश में ई-स्टाम्प प्रणाली वैसे तो वर्ष 2011 में शुरू की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब इस ई-मोड को पूर्णतः अपनाने का निर्णय लिया है.