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इस दिन होगी शिक्षा विभाग की अहम बैठक, छात्र अभिभावक मंच ने उठाई ये मांग

कोरोना संकट के दौरान सरकारी स्कूलों में छात्रों के दाखिले और निजी स्कूलों में फीस माफी समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए सोमवार को बैठक की जाएगी.छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने मांग की है कि प्रदेश सरकार भी दिल्ली व हरियाणा सरकार की तर्ज पर निजी स्कूलों को मार्च से मई तक की कुल फीस में केवल टयूशन फीस वसूलने के ही निर्देश दें.

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Published : May 11, 2020, 11:00 AM IST

demand of  fee waiver in private schools
निजी स्कूलों में फीस माफी की मांग.

शिमला: कोविड-19 के बीच सरकारी स्कूलों में छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया के साथ ही निजी स्कूलों की फीस पर फैसले के लिए सोमवार को बैठक का आयोजन किया जाएगा. अभिभावकों को इस बैठक में कोविड- 19 के संकट के बीच निजी स्कूलों में मार्च से मई महीने की फीस माफी की मांग पूरे होने की उम्मीद है.

अभिभावकों को आस है कि सरकार उन्हें राहत देने वाला फैसला लेगी और तीन माह की फीस माफ की जाएगी. अभिभावक मंच की ओर से भी सरकार से यह मांग उठाई गई है कि हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर इस वर्ष प्रदेश के निजी स्कूलों की ओर से की गई आठ से बीस प्रतिशत फीस बढ़ोतरी को तुरन्त निरस्त करने का फैसला लें.

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने मांग की है कि प्रदेश सरकार भी दिल्ली व हरियाणा सरकार की तर्ज पर निजी स्कूलों को मार्च से मई तक की कुल फीस में केवल टयूशन फीस वसूलने के ही निर्देश दें. इसमें से एनुअल चार्ज, मिसलेनियस चार्ज, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, कंप्यूटर फीस, स्पोर्ट्स फंड, डेवेलपमेंट फंड व अन्य सभी प्रकार के शुल्कों को वसूलने पर पूर्ण रोक लगाई जाए.

इसके अलावा जिन निजी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं नहीं चल रही हैं और जिन छोटी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो रही है, उनमें पढ़ने वाले छात्रों से टयूशन फीस भी नहीं वसूली जाए. उनका कहना है कि कोरोना महामारी के कारण पूर्ण रूप से अपना रोजगार गंवाने वाले किसी भी अभिभावक की ओर से टयूशन फीस की अदायगी न कर पाने की स्थिति में उनके बच्चों को निजी स्कूल से बाहर न किया जाए व उनकी पढ़ाई पूर्ववत जारी रखी जाए.

विजेंद्र मेहरा, संयोजक, छात्र अभिभावक मंच

विजेंद्र मेहरा का कहना है कि कोरोना महामारी से उत्पन्न सामाजिक व आर्थिक संकट ने जनता का सुख चैन छीन लिया है. लोग सामाजिक व आर्थिक रूप से भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. प्रदेश की जनता का एक बड़ा हिस्सा निजी स्कूलों में पढ़ने वाले पांच लाख 13 हजार छात्र व लगभग आठ लाख अभिभावक इस संकट की घड़ी में अन्य तबकों की तरह भारी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

प्रदेश की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत हिस्से में 13 लाख से ज्यादा लोग निजी स्कूलों की भारी फीसों के बोझ का सामना कर रहे हैं व इनकी अदायगी हेतू बेहद संकट की स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि इस विकट परिस्थिति में निजी स्कूलों की ओर से की गई फीस बढ़ोतरी व आय के साधनों के अभाव में अभिभावकों के लिए मार्च से मई 2020 का फीस भुगतान करना असहनीय हो गया है.

आठ लाख से ज्यादा अभिभावकों में से लगभग 70 प्रतिशत अभिभावक, मजदूर, योजनाकर्मी, आउटसोर्स कर्मचारी, छोटे दुकानदार, टैक्सी संचालक, कारोबारी, होटल संचालक व स्वरोजगार आदि में कार्यरत हैं. इन लोगों के आय के साधन लॉकडाउन व कर्फ्यू से बिल्कुल तबाह हो गए हैं. ऐसे में सरकार से उम्मीद है कि वह निजी स्कूलों को दूसरे राज्यों की तर्ज पर ही मार्च से मई माह तक की फीस में केवल ट्यूशन फीस लेने के ही आदेश जारी करेगी और इसके साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए भी कड़े कदम उठाएगी.

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