शिमला:कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के बाद शिमला में 500 लोग मानसिक तनाव का शिकार हुए हैं. कोरोना काल में बढ़ती बेरोजगारी और आइसोलेशन में रहने के चलते लोगों को मानसिक तनाव हो रहा है. लोग आईजीएमसी में रोज ही अपना इलाज करवाने आ रहे हैं. वहीं, आईजीएमसी में पिछले एक साल के अंदर 25 हजार लोग अपने मानसिक तनाव का इलाज करवाने के लिए आए हैं.
इनमें 15 हजार लोग नए हैं और 10 हजार लोग पहले से ही अस्पताल में अपना इलाज या चेकअप करवा रहे हैं. आईजीएमसी शिमला में मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. देवेश शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि कोरोना के समय में लोगों में तनाव बढ़ा है और लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं.
कोरोना काल में आत्महत्या के मामलों में हुई वृद्धि
डॉ. देवेश का कहना है कि प्रदेश में 15-29 साल की उम्र के लोगों की मृत्यु का प्रमुख कारण आत्महत्या है और कोविड-19 महामारी के दौरान आत्महत्या सहित मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इजाफा हुआ है. लोगों को अपने व उनके परिजनों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट व संवेदनशील होने पर जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि आत्महत्या से मरने वाले 70-80 प्रतिशत लोगों को मनोरोग होने की संभावना होती है.
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